नई दिल्ली : इंतक़ाल की ख़बर के बाद से ही कानों में ख़य्याम साहब की धुनें गूंज रही हैं। दिखाई दिये यूं, मैं पल दो पल का शायर हूं, वो सुबह कभी तो आएगी… ऐसे तमाम गीत संगीत के शौक़ीनों को याद आ रहे हैं।इन्हीं गीतों को यादों में संजोते हुए बॉलीवुड ख़य्याम साहब को श्रद्धांजलि दे रहा है।
अनुपम खेर ने ख़य्याम साहब के बारे में एक इमोशनल मैसेज ट्विटर पर लिखकर उन्हें याद किया। अनुपम ने लिखा- ख़य्याम साहब के जाने का सुनकर बहुत दुःख हुआ। इनकी धुनों को सुनकर हमने अपनी ज़िंदगी के बहुत सारे पड़ाव पार किए हैं। कुछ उदास होकर, कुछ ख़ुश होकर और कुछ गुनगुना कर। हमारे बीच आपकी कमी हमेशा महसूस होगी पर आप हमेशा हमारे साथ और हमारी यादों में रहोगे ख़य्याम साब।
ग़मजदा ऋषि कपूर ने ख़य्याम को श्रद्धांजलि देते हुए बस इतना लिखा- RIP Khayyam Sahab. वेटरन लेखक जावेद अख़्तर ने लिखा- ख़य्याम साहब महान संगीत निर्देशक का इंतकाल हो गया। वैसे तो उन्होंने कई कालजयी गाने दिये हैं, मगर उन्हें अमर रखने के लिए एक ही गीत काफ़ी है- वो सुबह कभी तो आएगी।
डायरेक्टर अनिल शर्मा ने लिखा- मैं पल दो पल का शायर हूं। आप पल दो पल के लिए नहीं, सदा के लिए हैं ख़य्याम साहब। इतनी यादगार रचनाएं देने के लिए भारत आपका हमेशा कृतज्ञ रहेगा ख़य्याम साहब। श्रद्धांजलि।करण जौहर ने लिखा कि आपका संगीत अमर रहेगा। विशाल ददलानी, शंकर महादेवन, आयुष्मान खुराना समेत कई सेलेब्रिटीज़ और संगीत से जुड़े कलाकारों ने ख़य्याम को श्रद्धांजलि दी है।
श्रद्धांजलि।करण जौहर ने लिखा कि आपका संगीत अमर रहेगा। विशाल ददलानी, शंकर महादेवन, आयुष्मान खुराना समेत कई सेलेब्रिटीज़ और संगीत से जुड़े कलाकारों ने ख़य्याम को श्रद्धांजलि दी है।
#KhayyamSaab के जाने का सुनकर बहुत दुःख हुआ। इनकी धुनों को सुनकर हमने अपनी ज़िंदगी के बहुत सारे पड़ाव पार किए है। कुछ उदास होकर, कुछ ख़ुश होकर और कुछ गुनगुना कर। हमारे बीच आपकी कमी हमेशा महसूस होगी पर आप हमेशा हमारे साथ और हमारी यादों में रहोगे ख़य्याम सांब।?
ख़य्याम को 1982 में उमराव जान के लिए बेस्ट म्यूज़िक डायरेक्शन श्रेणी में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2011 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से नवाज़ा था। 1977 में कभी कभी के लिए उन्हें बेस्ट म्यूज़िक डायरेक्टर का फ़िल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया था। बता दें, 92 साल के लीजेंडरी म्यूज़िक डायरेक्टर ने 19 अगस्त की रात 9.30 बजे इस दुनिया को अलविदा कह दिया। ख़य्याम साहब वृद्धावस्था के चलते बीमारियों की चपेट में थे और उनका मुंबई के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था।