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देश के इन 5 बजट की हुई है सबसे ज्यादा चर्चा, जानिए क्या रहा था खास

नई दिल्ली : देश का 2020-21 का बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। यह मोदी सरकार के पार्ट 2 का दूसरा बजट होगा। देश में हर साल बजट पेश किया जाता है। यह आने वाले समय में सराकर के काम-काज में होने वाले खर्चों का लेखा-जोखा होता है। बजट में सरकार की नीतियों और स्कीम के बारे में जानकारी होती है। बजट से में ऐसे कार्यों के बारे में जिक्र होता है जिससे देश की अर्थव्यस्था में सुधार के साथ आम लोगों को भी फायदा पहुंच सके। हम आपको इस खबर में देश के कुछ ऐसे बजट के बारे में बता रहे हैं, जिनकी चर्चा सबसे ज्यादा रही है।

1957 का बजट

यह बजट काफी चर्चा में रहा। कांग्रेस सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री टी टी कृष्णामाचारी ने 15 मई, 1957 को बजट पेश किया। इस बजट में आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्य किया गया। नॉन-कोर प्रोजेक्ट्स के लिए बजट का आवंटन वापस ले लिया गया। निर्यातकों की सुरक्षा के लिए एक्सपोर्ट रिस्क इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन बनाया गया। इस बजट में वेल्थ टैक्स लगा गया और एक्साइज ड्यूटी में 400 फीसद तक बढ़ा दिए गए। इनकम टैक्स भी बढ़ा दियया गया। मतलब कर्ज लेना मुश्किल हो गया।

1973 का बक्त, जिसे ‘द ब्लैक बजट’ कहा गया

यह बजट 28 फरवरी, 1973 को पेश हुआ। इसे वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण ने पेश किया। बजट में सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स के राष्ट्रीयकरण के लिए 56 करोड़ रुपये दिए गए। वित्त वर्ष 1973-74 में बजट में अनुमानित घाटा 550 करोड़ रुपये रहा, लेकिन कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण किए जाने से काफी व्यापक असर पड़ा। कहते हैं सरकार के कोयले पर पूरा अधिकार से बाजार में कॉम्पिटिशन खत्म हो गया।


1987 का बजट

वित्त वर्ष 1987 का बजट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पेश किया था, इसे 28 फरवरी, 1987 को पेश किया गया। इस बजट में न्यूनतम निगम कर जो आज MAT (मैट) या मिनिमम अल्टरनेट टैक्स के नाम से जाना जाता है, पेश किया गया था। टैक्स इसलिए लगाया गया ताकि उन कंपनियों को टैक्स लिमिट में लाया जाया जिनका मुनाफा काफी अधिक था और वो सरकार को टैक्स देने से बचती थी। आज के समय में यह टैक्स सरकार की इनकम का मुख्य जरिया है।


1997 का ‘ड्रीम बजट

तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वित्त वर्ष 1997 में 28 फरवरी, को बजट पेश किया था, जिसे ड्रीम बजट भी कहा गया। इस बजट में लोगों और कंपनियों के लिए टैक्स प्रावधान में बदलाव किए गए। इस बजट में वॉलंटियरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम स्कीम (VDIS) पेश की गई, जिससे ब्लैक मनी को बाहर लाया जा सके। इसका व्यापक असर रहा। साल 1997-98 के दौरान पर्सनल इनकम टैक्स से सरकार को 18,700 करोड़ रुपये मिले। अप्रैल 2010 से जनवरी 2011 के बीच यह इनकम 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई। लोगों के हाथों में पैसा आया और डिमांड बढ़ने से औद्योगिक विकास हुआ।

2005 का बजट

वित्त वर्ष 2005 का बजट तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम 28 फरवरी, 2005 को पेश किया। बजट में पहली बार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेगा) को लॉन्च किया गया। इस स्कीम से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार और आमदनी मिली। साथ ही पंचायत, गांव और जि‍ला स्तर पर नौकरशाहों का जाल सा बि‍छ गया।

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