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भावांतर भुगतान योजना के सिस्टम में सैकड़ों किसान हो गए गुम

इंदौर। भावांतर भुगतान योजना के सिस्टम में इंदौर संभाग के सैकड़ों किसान गुम हो गए हैं। इनमें अकेले इंदौर जिले के करीब 180 किसान हैं, जिन्हें करीब 30 लाख का भुगतान करना है लेकिन मंडी बोर्ड और बैंकों के ऑनलाइन सिस्टम में ये मिल नहीं पा रहे हैं। इनकी तलाश की जा रही है। माना जा रहा है कि किसानों द्वारा योजना के फॉर्म में भरे गए अपने बैंक के आईएफएससी कोड गलत हो सकते हैं। इसके लिए मंडी बोर्ड और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने आरबीआई से भी मदद मांगी है।

भावांतर योजना के तहत 16 से 31 अक्टूबर तक जिले की चारों मंडियों में 3652 किसानों की उपज खरीदी गई थी। इनमें इंदौर की छावनी और लक्ष्मीबाई नगर मंडी के अलावा सांवेर, महू और देपालपुर मंडी शामिल है। योजना के मुताबिक जिले में लाभार्थी किसानों का 3 करोड़ 54 लाख का भुगतान करना था। इन किसानों की सूची मंडी बोर्ड को भोपाल भेजी गई थी। मंडी बोर्ड ने ये सूची सीधे एसबीआई को भेज दी।

योजना के फॉर्मूला के हिसाब से जिन किसानों को जितनी राशि मिलनी थी, एसबीआई ने आरटीजीएस के जरिये उनके बैंक खातों में डाल दी। इस प्रक्रिया में करीब 180 किसानों के खातों में राशि आरटीजीएस नहीं हो पाई। ये राशि वापस मंडी बोर्ड के खाते में आ गई। अब मंडी अधिकारी और बैंक प्रबंधन ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर ऐसा कैसे हुआ। कयास लगाए जा रहे हैं कि या तो बैंक अकाउंट की जानकारी गलत भरी गई है या आईएफएससी कोड गलत होगा।

किसानों को मिलने वाली राशि से भी मिलान करने की कोशिश की गई लेकिन इससे भी अधिकारी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसमें भी गफलत हो रही है क्योंकि एक ही राशि के बहुत सारे किसान हैं। ऐसे में पता लगाना मुश्किल है कि जो राशि वापस आई है वह किस किसान की है। इंदौर मंडी में योजना के प्रभारी प्रवीण बाथम बताते हैं कि कुछ किसानों ने बैंक बदल ली लेकिन जानकारी भरते समय आईएफएससी कोड पुरानी बैंक के ही डाल दिए हैं। इस कारण भी दिक्कत आ रही है। बैंक के साथ मिलकर समस्या सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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