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गुजरात: शंकर सिंह वाघेला के इस्तीफ़े से बीजेपी क्यों खुश है?

एक वरिष्ठ नेता का जाना ऐसे समय हुआ है, जब राज्य चुनावी तैयारी के मोड़ पर आ गया है, जहां इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. वाघेला के इस दांव से गुजरात की सियासत पर क्या असर पड़ेगा और कांग्रेस के लिए कितनी बड़ा नुक़सान.
वरिष्ठ पत्रकार अजय उमठ का विश्लेषण;
अपनी ओर से पार्टी को मुक्त करता हूं: शंकर सिंह वाघेला
नज़रिया: यूं ही नहीं कोई अमित शाह हो जाता है
वाघेला की मंशा सिर्फ़ कांग्रेस को तोड़ने की नहीं है बल्कि उनकी नज़र आठ अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव पर भी है.
वो राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी को हराने की कोशिश करेंगे. संभावना ये है कि या तो वो अपना कोई उम्मीदवार खड़ा करेंगे या भाजपा के उम्मीदवार को समर्थन देंगे.
हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनावों में कथित रूप से गुजरात में 11 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी, इनकी संख्या 20 तक जा सकती है.
ऐसा इसलिए कि हाल ही में वाघेला के साथ 20 विधायक देखे गए थे. उनके साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के भी दो विधायक मौजूद थे.
वाघेला ने खुद भी अनौपचारिक रूप से 20-22 विधायकों के समर्थन का दावा किया है.

इस घटना से पहले कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के लिए अहमद पटेल का नाम चल रहा था, लेकिन अब लगता है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे.
हालांकि शंकर सिंह वाघेला ने पहले कहा था कि वो भाजपा के साथ नहीं जाएंगे, लेकिन कुछ दिन पहले उनकी अमित शाह से मुलाक़ात हुई थी, जिसके बाद अटकलें लगाई जाने लगी थीं.
इससे पहले वो राज्य के भाजपा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री विजय भाई रूपानी से भी मुलाक़ात कर चुके हैं.
लेकिन ऐसा लगता है कि वो ध्रुवीकरण के लिए भाजपा का समर्थन कर सकते हैं और ज़्यादा संभावना है कि वो अपनी अलग पार्टी बनाएं.
उन्होंने शुक्रवार को अपने 77वें जन्मदिन के मौके पर समर्थकों से 15 अगस्त के बाद अहमदाबाद में एक बड़ी रैली की तैयारी करने को कहा है.
यहां हो सकता है कि वो शक्ति प्रदर्शन के साथ अपनी नई पार्टी की घोषणा करें.
ऐसी जानकारी मिल रही है कि वो पटेल आंदोलन से उभरे हार्दिक पटेल, दलित आंदोलन से उभरे जिग्नेश मेवाणी, आदिवासी नेता छोटू भाई वसावा और

छोटू भाई वसावा का दक्षिण गुजरात में अच्छा-खासा आधार माना जाता है.
हार्दिक पटेल का गुरुवार को जन्मदिन था. इस अवसर पर उन्होंने वाघेला को फ़ोन कर आशीर्वाद मांगा और उनको जन्मदिन की अग्रिम बधाई भी दी थी.

इससे पहले भी हार्दिक पटेल कह चुके हैं कि अगर वाघेला उनके समुदाय के पक्ष में आते हैं तो वो उनका समर्थन करेंगे.
जिग्नेश मेवाणी भी कुछ मौकों पर शंकर सिंह वाघेला के साथ नज़र आए हैं.
इसलिए लगता है कि वाघेला इन युवा नेताओं के साथ एक किस्म का गठजोड़ करने की कोशिश में हैं.
उधर, एनसीपी ने वाघेला को खुलकर समर्थन देने की बात कही है.
अगर ध्रुवीकरण होता है तो इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम में सबसे ज़्यादा फायदे में भाजपा रहेगी.

इसकी वजह साफ है, वाघेला सबसे अधिक वोट कांग्रेस पार्टी का काटेंगे.
शायद इसीलिए कांग्रेस के किसी भी नेता की ओर से उनके जन्मदिन पर सामान्य शिष्टाचार के तहत बधाई भी नहीं दी गई.
बल्कि कांग्रेस ने उन्हें ‘गद्दार और धोखेबाज़’ तक कहा.
इस पूरे मामले में भाजपा सबसे अधिक ख़ुश नज़र आ रही है. भाजपा नेताओं की ओर से वाघेला के जन्मदिन पर कई शुभकामना संदेश दिए गए.

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