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कश्मीरियों को गले लगाने कश्मीर पहुंचे ‘शांतिदूत’,अलगावादियों से नहीँ करेंगे बात

नई दिल्ली। कश्मीर समस्या पर 15 अगस्त के मौके पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र ने कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान न गाली से, न गोली से, बल्कि कश्मीरियों को गले लगाने से होगी. कश्मीरियों को गले लगाने की कवायद शुरू हो चुकी है.

इस कड़ी में पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में जहां एक प्रतिनिधी मंडल शुक्रवार को कश्मीर पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकत की. इसी कड़ी में कश्मीर समस्या का समाधान तलाशने एक दूसरा प्रतिनिधी मंडल आज बीजेपी से जुड़े एमजे खान के नेतृत्व में पूर्व राज्यसभा सदस्य शाहिद सिद्दीकी, वरिष्ठ पत्रकार कमर आगा और पूर्व न्यायाधीश इशरत मसरूर कुद्दूसी जम्मू कश्मीर जा रहा है.

कश्मीरियों के गले लगाने की कवायद की पहल हो चुकी है. कश्मीर समस्या का समाधान के लिए प्राइवेट प्रतिनिधी मंडलों का कश्मीर यात्रा शुरु हो चुकी है. ये प्रतिनिधी मंडल घाटी में बहाली के लिए रास्ते तलाश रही है. ये प्रतिनिधी मंडल कश्मीर की आवाम के साथ-साथ वहां की राजनीतिक पार्टियों और सुफिजम से जुड़े लोगों के साथ-साथ धार्मिक नेताओं से मुलाकात करेंगे. इसके जरिए इनकी कोशिश है कि कश्मीर में भाई-चारा और शांति बनी रहे.

कश्मीर में शांति के रास्ते तलाशने के लिए यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में नागरिक समाज समूह जम्मू कश्मीर शुक्रवार को पहुंचा. इस प्रतिनिधी मंडल में यशवंत सिन्हा, सुशोभा बरवे, एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) कपिल काक और वरिष्ठ पत्रकार भरत भूषण शामिल हैं. इस दौरान उन्होंने सूबे के राज्यपाल नरिंदर नाथ वोहरा से मुलाकात की. इसके अलावा मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के साथ-साथ सूबे की विपक्षी पार्टी के नेता के साथ भी प्रतिनिधी मंडल ने मुलाकात किया. इस दौरान ये प्रतिनिधी मंडल जम्मू कश्मीर समस्या के समाधान के मकसद से सूबे मुद्दे को लेकर विभिन्न दलों और समूहों के नेताओं के साथ चर्चा के लिए घाटी का दौरा कर रही है.

इस तर्ज पर दूसरी एक प्रतिनिधि मंडल बीजेपी सदस्य एमजे खान के नेतृत्व पूर्व राज्यसभा सदस्य शाहिद सिद्दीकी, वरिष्ठ पत्रकार कमर आगा और पूर्व न्यायाधीश इशरत मसरूर कुद्दूसी शामिल हैं. कश्मीर जाने वाली समिति का नेतृत्व कर रहे बीजेपी नेता एमजे खान गृहमंत्री राजनाथ सिंह के करीबी भी माने जाते हैं.

ऐसे में समिति का कश्मीर दौरा ऐसे वक्त पर जाना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. भले ही इस समिति को सरकार कश्मीर न भेज रही हो, लेकिन इस समिति के मंसूबे मोदी के बयान को साकार करने वाले ही हैं. एमजे खान ने बताया कि समिति का कश्मीर दौरा वक्त की मांग है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का बयान ने समिति के हौसले को बुलंद कर दिया है. इस समिति का सरकार और बीजेपी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.

पूर्व राज्यसभा सदस्य शाहिद सिद्दीकी ने कहा कि कश्मीर समस्या पर प्रधानमंत्री का बयान काफी सराहनीय है. उन्होंने साफ कर दिया कि कश्मीर समस्या का समाधान बातचीत के जरिए ही हल किया जा सकता है. प्रधानमंत्री के बयान को कश्मीर के लोगों ने काफी स्वागत किया है. इससे साफ है कि प्रधानमंत्री कश्मीर समस्या के लिए काफी गंभीर हैं और बैठकर बातचीत के जरिए हल तलाश रहे हैं.

इसी मद्दे नजर हम सब भी कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए ही कश्मीर जा रहे हैं. इस समिति का सरकार से कोई लेना देना नहीं है. हम आपसी सहमति से व्यक्तिगत स्तर पर कश्मीर जा रहे हैं, ताकि वहां के लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को समझ सकें. जिससे की घाटी में शांति का मार्ग खुल सके.

उन्होंने कहा कि ये समिति के लोग कश्मीरी की सिविल सोसाइटी के लोगों से, धार्मिक रहनुमाओं, महिला संगठनों और नई पीढ़ी के युवा नेताओं के साथ मिलकर बातचीत करेंगे. समिति हुर्रियत जैसी अलगाववादी संगठनों दूरी बनाकर रखेगी.

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