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मनमर्जी से जीएसटी वसूलने वालों पर कस्टम-सेंट्रल टैक्स की नजर

भोपाल। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के नाम पर मनमानी वसूली की शिकायतों के बीच कस्टम एवं सेंट्रल टैक्स विभाग अब कारोबारियों को समझाइश देने में जुट गया है। विभाग को इस संबंध में नकारात्मक फीडबैक के साथ दुकानदारों द्वारा ज्यादा टैक्स वसूली की शिकायतें मिल रही हैं। पिछले साल तक विभाग का मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में 30 हजार करोड़ रुपए का राजस्व कलेक्शन हुआ था, इस बार शुरुआती मंदी के आसार नजर आ रहे हैं।

दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद कस्टम एवं सेंट्रल टैक्स विभाग के अफसर ऐसे कारोबारियों को चिन्हित करने में जुट गए हैं। विभाग को अभी सख्त कार्रवाई के बजाय व्यापारियों को समझाइश देने को कहा गया है। साथ ही आम नागरिकों को जागरूक बनाने की सलाह दी गई है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि मनमर्जी से जीएसटी वसूली करने वालों पर उनकी नजर है। काउंसिल की बैठक के बाद जिन बिंदुओं पर राहत दी गई है, उसे भी प्रचारित किए जाने की कवायद चल रही है।

30 हजार करोड़ रुपए

बताया जाता है कि कस्टम-सेंट्रल एक्साइज विभाग के भोपाल जोन में पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में मप्र-छग से करीब 30 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की वसूली हुई थी, लेकिन इस बार जीएसटी लागू होने के बाद स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई। पहली तिमाही में राजस्व घटने के संकेत हैं, लेकिन विभागीय अफसरों का दावा है कि अभी बहुत समय है। जीएसटी से अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा।

दुकानदारों को नसीहत

विभाग के चीफ कमिश्नर हेमंत ए. भट ने बताया कि फल-सब्जियों को जीएसटी से छूट मिली हुई है। अधिकतम विक्रय मूल्य पर अथवा उससे अधिक पर जीएसटी वसूलना अवैध है। ब्रांडेड एवं पैक्ड खाद्य पदार्थों, सब्जी-फलों पर 5-12 फीसदी जीएसटी लगेगा, लेकिन बिना ब्रांड एवं खुले खाद्य पदार्थों पर कोई टैक्स नहीं है। दुकानदारों को जीएसटी के पूर्व एवं जीएसटी के बाद टैक्स की स्थिति का तुलनात्मक चार्ट प्रदर्शित करने के निर्देश दिए हैं।

बिल पर लिखना होगा

उन्होंने कहा कि ग्राहकों को भी सलाह दी गई है कि बिल पर जीएसटीआईएन जरूर देखें। कंपोजिशन स्कीम अर्थात जीएसटी लागू नहीं का ब्योरा भी बिल पर स्पष्ट लिखने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि शिकायत के प्रकरण जीएसटी सेवा केन्द्र अथवा राज्य सरकार में भी दर्ज कराए जा सकते हैं।

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