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भोपाल गैस त्रासदी : 33 साल बाद भी नष्ट नहीं हो पाया जहरीला कचरा

भोपाल (राजीव सोनी)। दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक हादसों में शुमार भोपाल गैस कांड के 33 साल बाद भी यूनियन कार्बाइड कारखाने में 346 टन जहरीला कचरा मौजूद है। इसे नष्ट करने का निर्णय ही नहीं हो पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इंदौर के पास पीथमपुर में 10 टन कचरे का निष्पादन प्रयोग के बतौर किया गया लेकिन इस कवायद का पर्यावरण पर कितना असर-दुष्प्रभाव हुआ इसकी रिपोर्ट का खुलासा होना बाकी है। बचे हुए जहरीले कचरे को कैसे ठिकाने लगाया जाए, इसे लेकर सरकार धर्मसंकट में है।

पर्यावरण से जुड़े इस बेहद संवेदनशील मसले पर सरकार का कहना है कि उसके पास जहरीले कचरे को निपटाने की सुविधाएं और विशेषज्ञ नहीं हैं। यह जहरीला कचरा यूनियन कार्बाइड कारखाने के ‘कवर्ड शैड” में रखा है। कचरे का आधिपत्य प्रदेश के गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के पास है। त्रासदी के करीब साढ़े तीन दशक बाद भी पर्यावरण पर खतरे की तलवार लटकी हुई है। मप्र सरकार इस मुद्दे पर केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का मुंह ताक रही है।

केंद्र के पास लंबित है रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 13-18 अगस्त 2015 तक पीथमपुर में ‘रामकी” कंपनी के इंसीनरेटर में जहरीला कचरा जलाया गया। ट्रीटमेंट स्टोरेज डिस्पोजल फेसीलिटीज (टीएसडीएफ) संयंत्र से इसके निष्पादन में पर्यावरण पर कितना असर पड़ा, इसकी रिपोर्ट केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्रालय को चली गई है। मामले में 3 मार्च 2016 के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी नहीं हुई। असर क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं मिली है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस पूरे मामले की निगरानी कर रहा है। बोर्ड का कहना है कि उसने भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग अधिष्ठाता मेसर्स यूनियन कार्बाइड लि.भोपाल को 17 मार्च 2020 तक प्राधिकार/सम्मति जारी की है। रामके ग्रुप के मेसर्स एमपी वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पीथमपुर (कामन ट्रीटमेंट स्टोरेज व डिस्पोजल फेसिलिटी) को 19 जुलाई 2019 तक प्राधिकार एवं 31 अक्टूबर 2018 तक सम्मति जारी की है।

सवाल अब भी अनुत्तरित

*पर्यावरण को बचाते हुए जहरीला कचरा कब तक ठिकाने लग पाएगा?

*भविष्य के लिए सबक और निष्पादन का रोड मैप क्या रहेगा?

जहरीले कचरे में ये शामिल

*सेविन व नेफ्था वेस्ट-95 मी.टन

*रियेक्टर वेस्ट-30 मी.टन

*सेमी प्रोसेस्ड कीटनाशक-56 मी.टन

*बॉयलर और आसपास का जहरीला कचरा-मिट्टी- 165 मी.टन

जर्मनी नहीं जा सका कचरा

जहरीले कचरे को जर्मनी भेजने का प्रस्ताव भी आया था लेकिन जर्मन नागरिकों ने इसका विरोध कर दिया। इसलिए मामला अटक गया। इस तरह के केमिकल को 2000 डिग्री से अधिक तापमान पर जलाया जाता है।

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