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कांग्रेस के लिए बड़ा मौका है बवाना उपचुनाव

दिल्ली की राजनीति में हाशिए पर पहुंच गई कांग्रेस के लिए 23 अगस्त को होने वाला बवाना (सुरक्षित) विधानसभा उपचुनाव एक बड़ा मौका है। तीन लाख से ज्यादा मतदाता वाले इस सीट का समीकरण कांग्रेस के अनुकूल रहा है जिसे पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने पक्ष में कर लिया था। फरवरी 2015 के विधानसभा चुनावों में ‘आप’ को मिली प्रचंड जीत के बाद दिल्ली के हर चुनाव में आप का असर घटता ही जा रहा है। माना जा रहा है कि अप्रैल के नगर निगम चुनावों से ठीक पहले अगर कांग्रेस में बगावत न होती तो चुनाव नतीजों में कांग्रेस की हिस्सेदारी ज्यादा होती। ‘आप’ के टिकट पर 2015 का चुनाव जीते वेद प्रकाश के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से उप चुनाव हो रहा है। वे भाजपा के उम्मीदवार हैं। कांग्रेस और आप ने इसे ही मुद्दा बनाया है। इतना ही नहीं पिछले चुनाव के भाजपा उम्मीदवार गुग्गन सिंह और पूर्व पार्षद नारायण सिंह भाजपा छोड़ आप का प्रचार कर रहे हैं।

13 अप्रैल को हुए राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में भाजपा जीती और आप अम्मीदवार की जमानत जब्त हुई। कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही था। वह चुनाव आप के विधायक जनरैल सिंह के इस्तीफा देने से हुआ था जिन्हें आप ने पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ाया था। उस चुनाव में ‘आप’ के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा बेवजह सीट छोड़ने का भी बना था। बवाना उपचुनाव में यह भाजपा के खिलाफ बन रहा है। संयोग से ‘आप’ के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रामचंद्र बसपा के टिकट पर 2008 में विधानसभा चुनाव लड़कर अपनी जमानत गंवा चुके हैं। उनके पक्ष में एक ही बात अहम है कि वे उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं और शाहबाद डेयरी के इलाके से आते हैं जहां बड़ी तादात में उत्तर प्रदेश, बिहार के प्रवासी रहते हैं। लेकिन बाकी इलाकों में उनका कोई असर नहीं है।
सामान्य तौर पर इस सीट का समीकरण तो भाजपा के पक्ष में है। 23 अप्रैल को हुए दिल्ली नगर निगमों के चुनाव में इस सीट के छह निगम वार्डों में से तीन भाजपा, एक-एक आप, बसपा और निर्दलीय जीते थे। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर वैसे तो सबसे ज्यादा दलित हैं। लेकिन 26 गांवों और अनेक अनधिकृत कालोनियों में जाट और दूसरी जाति के लोग हैं। अनधिकृत कालोनी में पूर्वांचल के प्रवासी भी इस सीट पर बड़ी संख्या में हैं जिनपर पहले सबसे ज्यादा असर कांग्रेस का होता था। पिछले तीन चुनावों में ‘आप’ का असर दिखा और निगम चुनाव में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के प्रयास से कुछ भाजपा में भी जाता दिखा।
आम आदमी पार्टी को पता है कि यह उपचुनाव कितना अहम है। इसलिए ‘आप’ के ज्यादातर नेता मवाना चुनाव में लगे हुए हैं। लेकिन वहां असर केवल केजरीवाल का है। भाजपा के लिए यह सीट देश और दिल्ली के माहौल को देखते हुए आसान लग रही थी। लेकिन भाजपा नेताओं ने ‘आप’ से आए उम्मीदवार वेद प्रकाश को पचाने में ही काफी समय लगा दिया। गांवों और अनधिकृत कालोनियों में जाट और हरियाणा मूल की आबादी ज्यादा होने के कारण सभी दलों ने जाट नेताओं को महत्त्व दिया है। केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह वेद प्रकाश के पक्ष में प्रचार करने आए। भाजपा ने पड़ोस के दिल्ली पश्चिम लोकसभा के सांसद और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह के बेटे प्रवेश वर्मा को चुनाव प्रभारी बनाया है। इससे दिल्ली उत्तर पूर्व के सांसद उदित राज आहत बताए जा रहे हैं। जिस तरह से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के नियंत्रण में चुनाव अभियान चलता वैसा दिख नहीं रहा है। वैसे दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता आदि अनेक नेता चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं।
इसके उलट गुटबाजी के लिए मशहूर कांग्रेस में कम गुटबाजी दिख रही है। एक तरफ पूर्व सांसद सज्जन कुमार तो दूसरी तरफ योगानंद शास्त्री गांव-गांव जा रहे हैं। कुछ साल पहले शोएब इकबाल के मटिया महल के इलाके यमुना पुश्ता से उठ कर बवाना गए अल्पसंख्यक मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए शोएब इकबाल लगातार पदयात्रा कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के प्रयास से अनेक राष्ट्रीय नेता भी कांग्रेस के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं।

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