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MP में प्राइमरी शिक्षा का बुरा हाल, 37 फीसदी बच्चे नहीं बता पाए अपने राज्य का नाम

14 से 18 साल के उम्र के किशोरों के बीच हुए इस सर्वे से पता चला है कि 38.7 फीसदी किशोरियां स्कूल ही नहीं जातीं जबकि 25.5 प्रतिशत किशोरियों ने आज तक मोबाइल ही नहीं चलाया है

भोपाल। मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर हुए एक सर्वे में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. भोपाल के 60 गांवों के 952 घरों में हुए ASER के इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 37 फीसदी किशोर अपने राज्य का नाम भी नहीं बता पाते हैं. यही नहीं 14 से 18 साल के उम्र के किशोरों के बीच हुए इस सर्वे से पता चला है कि 38.7 फीसदी किशोरियां स्कूल ही नहीं जातीं जबकि 25.5 प्रतिशत किशोरियों ने आज तक मोबाइल ही नहीं चलाया है. सर्वे में शामिल हुए 19 फीसदी किशोर भारत का नक्शा पहचानने में भी असफल रहे. आपको बता दें कि यह सर्वे भोपाल के ग्रामीण इलाकों के किशोर-किशोरियों के बीच किया गया था.

डिजिटल इंडिया से ज्यादा लिट्रेट इंडिया की जरूरत

यूपीए सरकार में मानव संसाधन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं वकील कपिल सिब्बल ने एएसईआर की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘वेकअप कॉल’ की संज्ञा दी है. कपिल सिब्बल ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “बच्चे हमारा भविष्य हैं. हमारे बच्चों में निवेश करें. डिजिटल इंडिया से ज्यादा हमें लिट्रेट इंडिया (साक्षर इंडिया) की जरूरत है.”

सर्वे से मिली अहम जानकारियां…
– 38.7 फीसदी किशोरियां नहीं जा रही हैं स्कूल
– 22.4 फीसदी किशोरों का भी स्कूल में दाखिला नहीं
– मोबाइल का उपयोग करने में किशोरियों से आगे किशोर
– 25.5 फीसदी किशोरियों ने कभी नहीं चलाया मोबाइल
– 8.3 फीसदी किशोरों ने कभी नहीं चलाया मोबाइल
– 75.8 फीसदी लड़कियां नहीं करतीं इंटरनेट उपयोग
– 44.5 फीसदी लड़के नहीं करते हैं इंटरनेट उपयोग
– 76.1 फीसदी लड़कियों ने कभी नहीं चलाया कम्प्यूटर
– 61.2 फीसदी लड़कों ने कभी नहीं चलाया कम्प्यूटर
– 77.4 फीसदी लड़कियों के खुद के नाम बैंक एकाउंट
– 76.2 फीसदी लड़कों के खुद के नाम बैंक एकाउंट
– 47 फीसदी किशोर-किशोरियां दूसरी के सवाल नहीं कर पाते हल
– केवल 11.8 फीसदी किशोर-किशोरियां ही हर कर पाते हैं पहली कक्षा के सवाल
– 19 फीसदी नहीं पहचान पाते हैं भारत का नक्शा
(13 फीसदी किशोर, 22 फीसदी किशोरियां)
– 35 फीसदी बच्चे नहीं बता पाये भारत की राजधानी का नाम
(28 फीसदी किशोर, 40 फीसदी किशोरियां)
– 37 फीसदी नहीं बता पाये अपने राज्य का नाम
(30 फीसदी किशोर, 42 फीसदी किशोरियां)
– 60 फीसदी नहीं पहचान सके मध्य प्रदेश का नक्शा
(49 फीसदी किशोर, 68 फीसदी किशोरियां)

राजनीतिक बयानबाजी हुई तेज
राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस मुद्दे को राज्य की कानून व्यवस्था से जोड़ते हुए शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता माणक अग्रवाल ने आरोप लगाते हुए कहा, “बदमाशों के डर से बच्चियां स्कूल नहीं जा रही हैं.” उन्होंने इसके लिए स्कूलों में सुविधाओं का अभाव और छेड़खानी की बढ़ती घटनाओं को कारण बताया. वहीं दूसरी ओर भोपाल से बीजेपी सांसद आलोक संजर ने इस बारे में जी न्यूज से बात करते हुए कहा, “बच्चे और पालकों में पढ़ने की इच्छा का अभाव हो सकता है कारण.” उन्होंने इसके बाद कहा, “इस मामले में व्यापक जागरूकता अभियान की जरूरत है.”

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