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अतिकुपोषण समाप्त करने मन लगाकर करें कार्य-कलेक्टर

कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा ने कहा है कि जिला अतिकुपोषित जिलो में पारंपरिक कारणों से शामिल है। अतिकुपोषण को समाप्त करने के लिए मन लगाकर कार्य करना अनिवार्य है। महिला बाल विकास एवं महिला सशक्तिकरण विभाग को महिलाओं एवं बच्चों को संभालने का दायित्व है। अमला पूरी तत्परता और ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन करें। कार्य परिणाममूलक रहे। यह सभी परियोजना अधिकारी एवं सुपरवाईजर सुनिश्चत करें एवं अपनी कमियां और त्रुटियां दूर करें अन्यथा अपना इस जिले से स्थानान्तरण करा लें। लापरवाही किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नही की जाएगी। कलेक्टर श्री शर्मा यहां महिला बाल विकास एवं महिला सशक्तिकरण विभाग की विभिन्न विभागीय योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास चंद्रसेना भिडे एवं महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री श्यामबाबू खरे सहित जिले की समस्त एकीकृत बाल विकास परियोजनाओं के परियोजना अधिकारी सहित पर्यवेक्षक मौजूद थे।
उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना की समीक्षा के दौरान प्रमाण पत्रों के बनाने में अपेक्षित प्रगति नही मिलने के मद्येनजर खुजनेर परियोजना अधिकारी की एक वेतनवृद्धि रोकनें तथा खिलचीपुर परियोजना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास को दिए। उन्होंने कहा कि सुपरवाईजरों का काम सुपरवीजन करना है। आंगनवाड़ी केन्द्रों का संचालन व्यवस्थित और सुचारू रहे। व्यवस्थाओं में कमियों और त्रुटियों को समय रहते सुधारा जाए। उन्होंने विभागीय अधारभूत जानकारी रखने और लक्ष्यों को समय-सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एस.आर.एल.एम. की समूहों से 80 हजार महिलाएं जुडी है। अतिकुपोषण दूर करने सहित विभिन्न विभागीय गतिविधियों के सफलता पूर्वक क्रियान्वयन करने तथा सामाजिक कुप्रथाएं जैसे बाल विवाह और अर्थ आधारित नातरा प्रथा को समाप्त करने में सहयोगी बनाएं। संयुक्त रूप से काम करें तथा नए और प्रशंसनीय परिणाम दें।
उन्होंने स्वागतम लक्ष्मी, लाडो अभियान, मुस्कान, पोषण स्तर में सुधार, स्पान्सरशिप, एनीमिया निवारण, उदिता कार्नर, विशेष पोषण अभियान, पोषण ग्राम, अटल बिहारी आरोग्य मिशन, स्नेह शिविर, फास्टर केयर योजना एवं शोर्य दलों के गठन की बिन्दुवार समीक्षा की। समीक्षा के दौरान उन्होंने निर्देशित किया कि स्वागतम लक्ष्मी योजनान्तर्गत केवल नवजात कन्या का ही नही बल्कि ऐसी कन्याएं-बालिकाएं जिन्होंने सामाजिक कार्यो या शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हों, को भी समय-सीमा पर सम्मानित किया जाए।
उन्होंने विभागीय लक्ष्यों की पूर्ति में आंकड़ेबाजी नही करने, वास्तविकत स्थिति बताने तथा कमियों को दूर करने के लिए साफ नियत और ईमानदारी से कार्य करने की समझाईस भी समस्त परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षको को दी। उन्होंने कहा कि जिले में अतिकुपोषित बच्चों को सामान्य बच्चों की श्रेणी में लाने के लिए परियोजनाओं के कार्य की ग्रेडिंग व्यवस्था प्रारंभ की जाएगी तथा आंगनबाडी केन्द्रों के व्यवस्थित संचालन और गतिविधियों के संचालन के लिए निगरानी पद्धति प्रारंभ करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य से जिले के विभिन्न विभागीय अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा जो भ्रमण के दौरान सतत निगरानी और निरीक्षण का भी कार्य करेंगे।

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