खेलकूद

बर्थडे विशेष : इस खिलाड़ी ने जिस मैच में गोल्डन विकेट लिया वही अंतिम मैच बन गया

नई दिल्ली : क्रिकेट में किसी गेंदबाज के लिए एक ओवर, एक कैच या एक विकेट किसी किस्मत बदलने के लिए काफी होता है. याद कीजिए 1983 के वर्ल्डकप में जब कपिल देव ने दौड़कर विव रिचर्ड्स का वह कैच लिया था, जो आज तक लोगों के जेहन में ताजा है. ऐसा ही एक मैच 2007 में खेला गया. मैच भी कोई साधारण नहीं था. ये था पहले टी-20 वर्ल्डकप का पहला फाइनल मैच. मैच भी भारत और पाकिस्तान जैसी दो पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी टीमों के बीच खेला गया. पाकिस्तान की टीम जब लक्ष्य का पीछा करने उतरी तो तनाव चरम पर था ऐसे में अंतिम ओवर तो फेंकने के लिए कोई तैयार नहीं था, तब एक अनजाने से गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को गेंदबाजी की जिम्मेदारी दी गई थी. उस मैच में उसने अंतिम विकेट लेकर भारत को टी-20 में वर्ल्ड चैंपियन बनाया था.

विश्वकप के फाइनल में जब अंतिम छह गेंद में पाकिस्तान को जीतने के लिए 13 रन चाहिए थे, तब टीम इंडिया के कप्तान ने बॉलिंग की गेंदबाजी जोगिंदर शर्मा को सौंप दी. क्रीज पर मिसबाह उल हक जमे हुए थे. वह उस समय तक 35 बॉल में 37 रन बना चुके थे. हालांकि पाकिस्तान अपने 9 विकेट गंवा चुका था, लेकिन मिसबाह के रूप में उसकी उम्मीद उफान पर थीं.

जोगिंदर ने पहली ही गेंद वाइड कर दी. अब पाकिस्तान को 6 गेंदों में 12 रन चाहिए थे. अगली गेंद पर कोई रन नहीं बना. लेकिन दूसरी गेंद पर मिसबाह ने छक्का जड़ दिया. भारतीय फेंस की सांसें सूख गईं. लगा मैच गया. पाकिस्तान को 4 बॉल में बस 6 रन चाहिए थे. तीसरी गेंद पर मिसबाह ने एक रिस्क लिया और फाइन लेग की ओर उठाकर खेला. बॉल हवा ऊपर चली गई और श्रीसंत ने कैच लपकने में कोई गलती नहीं की. दुनिया भर में भारतीय फैंस झूम उठे. भारत विश्व चैंपियन बन गया. जोगिंदर शर्मा का ये ओवर और विकेट भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गया.

लेकिन बदकिस्मती देखिए, इस गेंदबाज के लिए ये अंतिम टी-20 मैच साबित हुआ. उसके बाद जोगिंदर शर्मा कोई भी मैच नहीं खेल सके. उनका करिअर यहीं सिमट गया. उन्होंने अपने छोटे से करिअर में 4 टी-20 मैचों में 4 विकेट लिए. उन्होंने चार वनडे मैच भी खेले. इसमें वह सिर्फ 1 विकेट ले पाए.

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