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ईश्वर अवसर देता रहा और पत्रकारिता ही पहचान बन गई – कौशल किशोर चतुर्वेदी

अपनी बात अपनी कलम से कौशल किशोर चतुर्वेदी के साथ : जीवन में क्या काम किया जाए, जिससे हम खुद के अलावा किसी और के भी काम आ सकें। मेरे मन में भी ऐसी सोच उम्र के इक्कीसवें पायदान पर पहुंचते बन रही थी। शुरुआत प्रशासनिक सेवा की तैयारी के साथ की, ताकि ऐसे मुकाम पर पहुंचकर जनता की सेवा करने का अवसर पा सकूं कि जीवन सार्थक हो सके। पर ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। सो सिविल सर्विसेज और मध्यप्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा में कई बार मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार देने के बाद भी बात नहीं बनी। इसी बीच मन में विचार आया कि पत्रकारिता के जरिए अपने लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। और वर्ष 2000 आते-आते पत्रकारिता की तरफ मुखातिब हो गया। ‘मैन प्रपोजेज एंड गॉड डिसपोजेज’ और ‘ईश्वर जो करता है वह अच्छे के लिए ही करता है’, पर मेरा पूरा विश्वास है। इसलिए जब पत्रकारिता की शुरुआत हुई तो इस क्षेत्र में ही कुछ अच्छा करने की सोच बनाकर आगे बढ़ गया। ईश्वर अवसर देता रहा और पत्रकारिता ही पहचान बन गई। सत्रह साल के पत्रकारिता के अनुभव में कुछ संतुष्टि के अवसर मिले, जिससे लगा कि इस क्षेत्र के जरिए ईमानदारी से अपना काम कर लाखों लोगों की भलाई के काम किए जा सकते हैं।

हमने पत्रकारिता की शुरुआत स्वतंत्र लेखन से की और बाद में लोकमत समाचार के इंदौर ब्यूरो के बतौर अपनी सेवाएं दीं। वरिष्ठ पत्रकार और मेरे चाचाजी शिवअनुराग पटैरिया के स्नेहपूर्ण मार्गदर्शन ने इस दिशा में आगे बढ़ाया। जब 2004 में मुझे सिंहस्थ में रिपोर्टिंग करने का अवसर मिला, इसी समय ईटीवी का आफर मिला और 9 अप्रैल को मैंने ईटीवी ज्वाइन कर लिया। ईटीवी में लगभग दो साल तक काम करने का अवसर मिला, वह भी डेस्क पर। यहां वर्ष 2004 से 2006 के बीच कापी एडिटर/रिपोर्टर की हैसियत से एक बुलेटिन की जिम्मेदारी मिली। इसमें तत्कालीन एक मंत्री के क्षेत्र में हुए गोलीकांड में बच्चों की मौत मुद्दा बन चुका था। हमने लगभग दो महीने तक ईटीवी में प्राइम बुलेटिन की जिम्मेदारी संभाली और अंतत: मंत्री का इस्तीफा हो गया। बुलेटिन की सफलता का सहभागी बनना उस समय एक सुखद अनुभव महसूस हुआ, जब संपादक महोदय ने आकर मिठाई खिलाई और बधाई दी। इसमें सुखद यह लगा कि गरीब परिवार के गोलीकांड में मरे बच्चों के परिजनों को न्याय मिला था। कहीं न कहीं यह संतुष्टि पत्रकारिता के क्षेत्र के चयन को सही ठहरा रही थी।

भोपाल में मेरी पत्रकारिता यात्रा की शुरुआत वर्ष 2007 में हुई। यहां पर दैनिक जागरण में काम करते हुए मैंने नए शहर में एक बार फिर शुरुआत की थी। लगभग दो साल बाद ही मुझे यहां दैनिक भास्कर में काम करने का अवसर मिला। यहां जिला प्रशासन की रिपोर्टिंग का अवसर मिला तो एक बड़ी उपलब्धि से रूबरू हुआ। वर्ष 2009 में भोपाल में फार्म हाउस का धंधा जोरों पर था। हजार-दो हजार वर्गफीट के फार्म हाउस के नाम पर गैरकानूनी तरीके से कृषि भूमि बेचकर भू-माफिया अपनी जेबें भर रहे थे। भास्कर में मैंने एक छोटा सा प्रेसनोट छापा, जिसमें फार्महाउस विक्रेताओं के खिलाफ खबर थी। इसे फार्महाउस विक्रेताओं ने मुद्दा बनाया और भास्कर के खिलाफ मुहिम छेड़ दी, अन्य अखबारों में विज्ञापन छपवाकर। इस चुनौती ने मुझे फार्म हाउस विक्रेताओं के गैरकानूनी धंधे के खिलाफ खुलकर काम करने का अवसर दिया। खबरें छपीं और सिलसिला बढ़ता गया, एक साल में ही स्थिति यह बन गई कि शहर में अवैध रूप से बेचे जा रहे फार्म हाउस के खिलाफ जिला प्रशासन ने बड़ी-बड़ी

कार्यवाहियां की और अंतत: अवैध फार्महाउस बेचने का सिलसिला पूरी तरह से खत्म हो गया। इससे मुझे बड़ा सुखद अहसास हुआ, क्योंकि फार्म हाउस खरीदने वाले हजारों लोग सिर्फ इसलिए परेशान होते थे, क्योंकि एक ही भूखंड कई लोगों को बेच दिया जाता था। बाद में ऐसे लोगों के पास परेशान होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता था, क्योंकि पूरा खेल ही अवैध तरीके से चल रहा था।

भास्कर के बाद मुझे पत्रिका में राजनीतिक संवाददाता और ब्यूरो में काम करते हुए कई विभागों की रिपोर्टिंग का अवसर मिला। इससे सरकार, भाजपा संगठन और अन्य दलों के साथ-साथ अन्य विभागों और विधानसभा की रिपोर्टिंग का विशेष अवसर मिला। भाजपा में रहते हुए कई ऐसी खबरें लिखीं, जो चर्चा में रहीं। इसमें भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी की भोपाल में रवींद्र भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में विवेकानंद और दाउद की तुलना पर लिखी गई खबर खासी चर्चा में रही। राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर बहस हुई और अंतत: गडकरी विवादों में घिरे। विधानसभा में एक खबर चर्चा में रही ‘संगठन के इशारे पर काम करती है सरकार’। मुद्दा विधानसभा में गूंजा और संगठन को ऐसी बयानबाजी न करने की नसीहत दी गई। फिलहाल एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर पदस्थ हूं। मुझे विधानसभा की श्रेष्ठ रिपोर्टिंग के लिए पंडित कुंजीलाल दुबे पत्रकारिता पुरस्कार से नवाजा गया। माधव राव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान ने माखनलाल चतुर्वेदी सम्मान से सम्मानित किया। श्रेष्ठ पत्रकारिता के लिए पंडित युगल किशोर अग्निहोत्री सम्मान प्रदान किया गया है।

मेरा मानना है कि पत्रकारिता का क्षेत्र अपार संभावनाओं से भरा है, जिसके माध्यम से समाज और देश के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है।
शिक्षा – एमएससी (गणित) डॉ. हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी सागर
एमए इन मास कम्युनिकेशन, डीएवीवी इंदौर
शौक – कविता-कहानी लेखन, जल्दी ही एक कविता संग्रह ‘जीवन राग’ नाम से प्रकाशित करवाने की ओर अग्रसर
मूल रूप से टीकमगढ़ और झांसी जिले से संबद्ध रहा। जन्म झांसी जिले के गांव चिपलौठा में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। बाद में उरई, कोंच जिला जालौन और झांसी से इंटरमीडिएट तक की शिक्षा पूरी की। इसके बाद सागर विश्वविद्यालय से बीएससी, एमएससी और डीएवीवी इंदौर से एमएएमसी की शिक्षा ग्रहण की।

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