औरतों का इज्तिमा : तीन तलाक, तालीम और शरियत पर होगी चर्चा
भोपाल। ईंटखेड़ी में नवंबर में हुए दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मर्दों के इज्तिमा के बाद जमाते इस्लामी की महिला विंग देश के दूसरे सबसे बड़े औरतों के इज्तिमे को 23-24 दिसंबर को आयोजित करने जा रही है। आयोजन शाहजहांनाबाद के इस्लामी गेट मैदान में दो दिन चलेगा।
इज्तिमा में इस बार 15 हजार ख्वातीनों के आने की संभावना है। शनिवार सुबह 10 बजे इसका आगाज मौलाना शराफत अली नदवी की तकरीर के साथ होगा। इसी दिन शाम 8 से 10 बजे तक जलशे का आयोजन होगा जिसमें औरत-मर्द सभी हिस्सा ले सकेंगे।
मरहूम पीर सईद मियां साहब के बयान से इज्तिमा का आगाज होता था। इस साल उनके इंतकाल के बाद मौलाना सैयद शराफत अली नदवी साहब के बयान के साथ इज्तिमा का आगाज होगा। विदेश और देश के कई राज्यों से आ रहे आलीमा और उलेमा इसमें बयान फरमाएंगी। इस बार के बयानों में खास रहेगा औरतों का शरियत के दायरे में रहकर दुनियावी और सामाजिक जिम्मेदारियाों को पूरा करना। औरतों की आजादी, सुसराल में जिम्मेदारी के साथ परदे की अहमियत और तीन तलाक पर भी रोशनी डाली जाएगी। औरतों के लिए तालीम के मायने और उसकी जरूरत पर खास बयान होंगे।
सन 2000 हजार में हुई थी शुरुआत
ख्वातीन-ए-इज्तिमा की शुरुआत दिसंबर 2000 में सैफिया कालेज मैदान से हुई थी। मरहूम जहूर-उल-हसन ने इसे एक हजार ख्वातीनों के मजमे के साथ इसे शुरू किया था। साल दर साल इनकी संख्या बढ़ती गई तो इसे मोती मस्जिद बगिया में शिफ्ट किया गया। यहां भी जगह कम पड़ी तो इसे ताजुल मसाजिद मैदान में लाया गया। इसके बाद अब इसे इस्लामी दरवाजे के मैदान पर आयोजित किया जा रहा है।
क्या है जमाते इस्लामी
जमाते इस्लामी के प्रवक्ता डा. अजहर ने बताया की यह एक हिदुस्तानी जमात है। इसका गठन आजादी से पहले 1942 में पंजाब के पठानकोट में मौलाना सैयद अबुल आला मेहदूदी ने किया था। जमाते इस्लामी खुदा एक होने, हजरत मोहम्मद के पैगंबर होने, जिंदगी जीने के इस्लामी तरीके को सही ठहराती है। इसी के दायरे में यह समाज के विभिन्ना तबकों के लिए अपनी तंजीमों के सहारे काम कर रही है।