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उमा भारती ने किया बड़ा ऐलान- अब मैं कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी

झांसी: केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की अत्यंत मुखर नेता के तौर पहचानी जाने वाली झांसी की सांसद साध्वी उमा भारती ने अब चुनाव न लड़ने का फैसला कर लिया है. उन्होंने यह बात रविवार को संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कही. क्षेत्रीय सांसद उमा भारती ने संवाददाताओं से अपनी उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कहा, “अब मैं कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी, मगर पार्टी के लिए काम करती रहूंगी. ”

उन्होंने कहा कि वह दो बार सांसद रही हैं और पार्टी के लिए काफी काम किया है, उसी के चलते इतनी कम उम्र में उनका शरीर जवाब देने लगा है. कमर और घुटनों में दर्द के चलते चलने-फिरने में परेशानी होती है. पार्टी के लिए प्रचार करती रहेंगी. राम मंदिर के सवाल पर उन्होंने कहा कि न्यायालय अपना फैसला सुना चुका है, लिहाजा आपसी सहमति से राम मंदिर का निर्माण हो जाना चाहिए.

उमा भारती झांसी से सांसद है

यहां बताना लाजिमी होगा कि उमा भारती खजुराहो, भोपाल के बाद झांसी से सांसद है. वे बड़ा मलेहरा और चरखारी से विधायक रह चुकी हैं. वे बुंदेलखंड की बड़ी प्रभावशाली नेता और पूरे देश में हिंदूवादी नेता के तौर पर अपनी पहचान रखती हैं.

उमा भारती ने खुद को राजनीति का ‘मोगली’ बताया
केंद्रीय स्वच्छता एवं जल संरक्षण मंत्री उमा भारती ने यहां रविवार को कहा कि वह वर्तमान दौर की राजनीति में ‘मोगली’ हैं. यहां आयोजित तीन दिवसीय शैव महोत्सव के समापन अवसर पर मंच संचालक ने जब साध्वी उमा भारती का परिचय ‘प्रखर वक्ता’ के रूप में दिया, तो उमा ने मोगली का किस्सा सुना डाला.

उन्होंने कहा, “मोगली नाम का बच्चा जंगल में पैदा हुआ था, जिसे भेड़िए उठा ले गए, बाद में वह मिल गया. मैं सोचती हूं कि अगर मोगली राजनीति में आ जाए तो वह क्या-क्या करेगा, वही कुछ मैं भी करती हूं.”

उमा भारती ने कहा, “किसी के बारे में ऐसी चर्चा हो जाती है कि वह ऐसा है और यह बात आगे चलती रहती है, इसी तरह मेरे साथ हुआ. कहीं प्रवचन दिए तो लोगों ने प्रखर वक्ता कह दिया और आज भी वह कहा जा रहा है. वास्तव में मैं प्रखर वक्ता हूं नहीं.”

उन्होंने आगे कहा, “मैं तीन-चार दिन पहले अपने बारे में सोच रही थी, तभी मुझे मोगली की कहानी याद आ गई. यह मनगढं़त कहानी नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश की ही घटना है. मोगली भेड़ियों के पास से वापस आ जाता है. मैं सोचती हूं कि अगर मोगली राजनीति में आ जाए तो वह क्या क्या करेगा, वही मैं भी करती हूं. कभी कुछ कह दिया, बाद में लगता है कि अरे यह क्या कह दिया.”

शैव महोत्सव में भारतीय डाक विभाग द्वारा बारह ज्योतिर्लिगों और शैव महोत्सव के कवर पेज पर आधारित पोस्टकार्ड और डाक टिकट भी जारी किए गए. प्राचीन सनातन संस्कृति, भगवान शिव के स्वरूप, उनकी पूजन पद्धति और देवस्थानों के संरक्षण और प्रबंधन पर चार विशिष्ट सत्रों में वैचारिक संगोष्ठियों का भी आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न प्रांतों से आए विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए.

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