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बाबरी विध्वंस को सरकारी आयोजन में बताया शहादत

भोपाल (राजीव सोनी)। राजधानी के रवीन्द्र भवन परिसर में चले तीन दिनी सरकारी आयोजन ‘जश्न-ए-उर्दू” मुशायरे में एक शायरा ने बाबरी विध्वंस को शहादत का दर्जा देते हुए एक शेर के जरिए इसका जिक्र किया। मप्र संस्कृति विभाग के उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुनव्वर राना, वसीम बरेलवी, डॉ. तरन्नुम रियाज, तनवीर गाजी और मुमताज सिद्दिकी जैसे नामचीन शायर भी शामिल हुए।

8 से10 दिसंबर तक चले इस मुशायरे में बड़ी संख्या में राजधानी के गणमान्य नागरिक और शासकीय अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे। कार्यक्रम के दूसरे दिन शनिवार को गजल पढ़ते हुए शायरा डॉ. परवीन कैफ बोलीं ‘शहादत बाबरी मस्जिद की जब भी याद आती है फरोगे गम में सब हंसना-हंसाना भूल जाती हूं।” गजल में और भी शेर थे, लेकिन बाबरी शहादत को लेकर वह अपनी बात पर अडिग रहीं।

इंसानियत के साथ धोखा…

‘नईदुनिया” के साथ हुई चर्चा में भी डॉ. कैफ ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी। जब उनसे पूछा गया कि शायर-कलाकार तो अमूमन सियासत और मजहब से ऊपर उठकर इंसानियत की बात करता है? इस पर उनका जवाब था कि इंसानियत के साथ धोखा हुआ। कार्यक्रम में तनवीर गाजी भी मौजूद थे जो कि अपनी शायरी में मोदी सरकार और गुजरात को निशाने पर रखने के लिए जाने जाते हैं।

आयोजकों को टोकना था…

कार्यक्रम में मौजूद एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उर्दू तो मोहब्बत की जुबान है। बाबरी मस्जिद को लेकर जब शेर पढ़ा जा रहा था, तब आयोजकों को टोकना चाहिए था। ऐसा नहीं होना चाहिए, उन्होंने कहा कि सवाल तो उप्र विधान परिषद सदस्य वसीम बरेलवी और मुनव्वर राणा को लेकर भी उठना चाहिए।

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