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महाराष्ट्र सरकार का नया नियम, किसी का हुक्का-पानी बंद किया तो खाप पंचायतों की खैर नहीं

अब महाराष्ट्र में पंचायतें किसी का सामाजिक बहिष्कार नहीं कर सकेंगी. कभी जाति, कभी गोत्र तो कभी परंपरा के नाम पर होने वाले सामाजिक बहिष्कार पर महाराष्ट्र सरकार ने रोक लगा दी है. इसके लिए फडणवीस सरकार ने जाति पंचायत विरोधक कानून लागू कर दिया है. इसके तहत यदि कोई पंचायत किसी भी वजह से किसी परिवार या व्यक्ति का हुक्का पानी बंद करती है या गांव से बाहर जाने का फरमान देती है तो पूरी पंचायत को तीन साल तक की सजा होगी.

सरकार के नये आदेश के अनुसार पंचायत ही नहीं जो लोग इस कार्यवाही में शामिल होकर बहिष्कार के फैसले पर हामी भरेंगे वे भी सजा के हकदार होंगे. ऐसे प्रत्येक व्यक्ति पर एक लाख रुपये जुर्माना भी लगाया जाएगा. महाराष्ट्र के कई गांवों में अब भी दलितों को खास कुओं से पानी भरने और कुछ जगहों पर मंदिरों में जाने की मनाही के कई मामले सामने आए हैं. इसके अलावा दूसरी जाति में शादी करने पर समाज से बहिष्कार और पिटाई के मामले भी अक्सर सामने आते हैं. जाहिर तौर पर ऐसी खाप या जाति पंचायतो पर कड़ी लगाम लगाना जरुरी है. इसलिए विधानसभा ने ये कानून पारित किया था जिसे अब लागू कर दिया गया है.

लेकिन सवाल अब भी बाकी है कि क्या केवल कानून बना देने से इस तरह के मामलों पर रोक लग पाएगी? क्योंकि जब तक समाज की मानसिकता नहीं बदलती तब तक कानून सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह जाएगा.

बहरहाल नये कानून के अनुसार इस तरह की खाप या जाति पंचायत बुलाना ही गैर कानूनी होगा. इस तरह की सूचना मिलने पर पुलिस को तुरंत वहां जाकर पंचायत को रोकना होगा. सामाजिक बहिष्कार की शिकायत दर्ज करने में यदि कोई पुलिसकर्मी आनाकानी करता है तो वह भी इस कानून के तहत दोषी माना जाएगा.

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