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जानिए क्या है सरकार का एनएसजी प्लान

जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद भारतीय सेना और सुरक्षाबलों को आतंकवाद निरोधी ऑपरेशन करने के लिए खुली छूट मिल गई है। राज्य में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) यूनिट को घाटी में तैनात करने का फैसला लिया है। एनएसजी विशेष परिस्थितियों में न सिर्फ आतंकवादियों से सीधा लोहा लेगा, बल्कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ-साथ सीआरपीएफ को सघन आबादी वाले क्षेत्रों में आतंकियों से मुकाबले के लिए प्रशिक्षित भी करेगा।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने बताया कि इन कमांडो को बीएसएफ की सुविधा में रखा जाएगा। एक वरिष्ठ एनएसजी अधिकारी ने बताया कि जैसे ही कमांडो की टुकड़ी घाटी पहुंचेगी। जम्मू-कश्मीर प्रशासन, पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ नए तौर-तरीकों को लेकर बातचीत की जाएगी।

एनएसजी के घाटी पहुंचने से पहले एक पूरा बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। कमांडो सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस को ट्रेनिंग देंगे जिसमें श्रीनगर हवाईअड्डे पर एंटी हाइजैक ऑपरेशन की निगरानी करना, आतंकी हमले के दौरान हर स्थिति से निपटना और आतंकवाद निरोधी स्किल के गुर सिखाएंगे। एक अधिकारी ने कहा, ‘खुफिया सूचना के आधार पर जब कभी आतंकी परिस्थितियों में विशेष कौशल की आवश्यकता होगी एनएसजी कमांडो का ऑपरेशन में इस्तेमाल किया जाएगा। इसका फैसला जम्मू-कश्मीर की पुलिस द्वारा लिया जाएगा।’

एनएसजी कमांडो एमपी 5 सब मशीन गन, स्नाइपर राइफल, दीवार के उस पार देखने की क्षमता वाला रडार और सी-4 एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल करते हैं। यह पहली बार नहीं है जब एनएसजी कमांडो जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएस को ट्रेनिंग देंगे। इससे पहले भी वह उन्हें ट्रेनिंग दे चुके हैं। आतंकविरोधी अभियानों के विशेषज्ञों का मानना है कि रूम-टू-रूम भिड़ंत वाली परिस्थितियों में एनएसडी काफी सहायक होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एनकाउंटर के समय अमूमन ऐसी परिस्थितियां बन ही जाती हैं। जो सुरक्षाबलों के लिए करो या मरो की स्थिति होती है।

पिछले काफी समय से ऐसे एनकाउंटर्स की संख्या में इजाफा हुआ है जहां आबादी से घिरे घरों में अभियान चलाते समय जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। रमजान में युद्ध विराम पर लगाम लगाने से जहां आम लोगों को राहत मिली थी। वहीं आतंकियों के लिए यह सुनहरा मौका बन गया क्योंकि इस दौरान उन्होंने घाटी में खुद को मजबूत करने का काम किया। जम्मू-कश्मीर के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि एक तरफा संघर्ष विराम होने से सर्च ऑपरेशन सामान्य रूप से नहीं हो पाए। केवल खुफिया जानकारी के आधार पर 15-20 आतंकियों को मारा गया।

एनएसजी खासतौर पर इन्हें घनी आबादी वाले क्षेत्रों में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का विशेष प्रशिक्षण देगा। दरअसल ऑपरेशन ऑल आउट के कारण 600 आतंकियों के साफाए के बाद घाटी में महज 200 आतंकी बचे हैं। केंद्र सरकार की योजना इन बचे आतंकियों को जल्द से जल्द ठिकाने लगाने की है।

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