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इंजीनियर नहीं अब इन्हें कहेंगे अभियंता क्योंकि सरकार ने किया है यह बड़ा फैसला

भोपाल। क्या आप जानते हैं कि इंजीनियर्स को हिंदी में अभियंता कहते हैं ! शायद यह बात खुद इंजीनियर्स को भी नहीं पता होगी। लेकिन अब नए सत्र से इंजीनियर्स को हिन्दी के ऐसे ही शब्दों से दो चार होना पड़ेगा। क्योंकि नए सत्र से इंजीनियरिंग की पढ़ाई केवल इंग्लिश में ही नहीं बल्कि हिन्दी में भी होगी। सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए तरह तरह के प्रयोग कर रही है और यही कारण है कि सरकार स्टूडेंट्स को इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में करने का मौका देने जा रही है।

पहला प्रयोग देश में
देश में पहली बार राज्य का राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इस प्रयोग को करने जा रहा है। राजीव गांधी यूनिवर्सिटी से 482 कॉलेज संबद्ध हैं राज्य के लगभग सभी इंजीनियरिंग कॉलेज इसी यूनिवर्सिटी से अधिमान्यता लिए हुए हैं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि प्रदेश के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में अब हिन्दी सिलेबस और उसे पढ़ाने वाले प्रोफेसर मिलने जा रहे हैं। ऐसे में जो बच्चे अंग्रेजी के डर से बीए करने चले जाते हैं अब वे भी बीई का लुफ्त ले सकेंगे।

इसलिए लिया है फैसला
दरअसल, इंजीनियरिंग से छात्रों का रुझान लगातार कम होता जा रहा है पिछले साल इंजीनियरिंग की 78 हजार में से 37 हजार सीटें खाली रह गईं थी। इस बार भी 71 हजार सीटों में से करीब 50 हजार सीटें खाली रहने का अनुमान है। ऐसे में सरकार को हिन्दी से उम्मीद दिखाई दे रही है।

सवाल अभी बाकी हैं
इस फैसले ने स्टूडेंट्स के बीच हलचल मचा दी है। सबसे बड़ा सवाल है कि हिंदी में इंजीनियरिंग करने वाले स्टूडेंट्स के जॉब की क्या उम्मीदें हैं?ï क्योंकि अभी आलम यह है कि टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों से पढऩे के बाद भी इंजीनियर्स को उनकी काबलियत के अनुसार नौकरी नहीं मिल रही है। ऐसे में मल्टीनेशनल कंपनियां क्या हिन्दी मीडियम के स्टूडेंट्स को पसंद करेंगी?

कूद पड़ी राजनीति
एजुकेशन के इस मामले में भी जमकर राजनीति हो रही है। सरकार ने अभी ठीक से फैसला लिया भी नहीं है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि ये फैसला एक कदम पीछे ले जाने वाला है और इससे स्टूडेंट्स को जॉब मिलने में भी मुश्किलें होंगी। जब इंजीनियरिंग की किताबें केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं तो हिंदी में पढ़ाने का क्या मतलब है? हिन्दी में पढ़ाने वाले प्रोफेसर भी नहीं हैं।

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