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सेना की बढ़ेगी ताकत: सुखोई विमान से पहली बार दागी जाएगी ब्रह्मोस मिसाइल

हवा से जमीन पर मार करने वाले ब्रह्मोस मिसाइल से दुश्मन देश की सीमा में स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक निशाना लगाया जा सकता है. ऐसे में सुखोई जेट से इस मिसाइल के मिलाप को रक्षा विशेषज्ञ ‘एक घातक संयोजन’ बता रहे हैं.

यह मिसाइल जमीन के अंदर बने परमाणु बंकरों, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे विमानों को दूर से ही निशाना बनाने में सक्षम है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि इस हफ्ते बंगाल की खाड़ी में दो इंजन वाले सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल के हल्के वर्जन (2.4 टन) का परीक्षण किया जाएगा. इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल के असली वर्जन का वजन 2.9 टन था.

ब्रह्मोस मिसाइल 290 किलोमीटर के दायरे में जमीन पर स्थित किसी ठिकाने पर सटीक निशाना साध सकती है. सैन्य बलों ने पहले ही इसे अपने बेड़े में शामिल कर लिया है.

ब्रह्मोस मिसाइल के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना सभी ने अपनी रुचि दिखाई है और इसके लिए 27,150 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए गए हैं.

जून, 2016 में भारत के 34 देशों के संगठन मिसाइल तकनीक नियंत्रक समूह (MTCR) का हिस्सा बनने के बाद अब मिसाइलों की रेंज की सीमा भी अब खत्म हो चुकी है. ऐसे में अब सशस्त्र बल ब्रह्मोस के 450 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाले वर्जन की टेस्टिंग की तैयारी में हैं.

एमटीसीआर की सदस्यता मिलने के बाद भारत 300 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइलों को तैयार करने में सक्षम होगा. फिलहाल ब्रह्मोस मिसाइल के हाइपरसोनिक वर्जन यानि ध्वनि से पांच गुना तेज रफ्तार (माक 5) को तैयार करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं और ब्रह्मोस को सुखोई से दागने की यह कवायद इस सिलसिले में देखी जा रही है.

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