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पेंशनरों का अटका मामला, नियमित कर्मचारियों को मिलेगा सातवां वेतनमान

भोपाल। प्रदेश के दो लाख से ज्यादा पेंशनरों को सातवें वेतनमान के हिसाब से पेंशन का फायदा अभी नहीं मिलेगा। छत्तीसगढ़ सरकार की सहमति नहीं मिलने से पेंशनरों को छोड़कर नियमित कर्मचारियों को एक जुलाई 2017 से सातवां वेतनमान दिया जाएगा।

इसके लिए मंगलवार को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में वित्त विभाग प्रस्ताव रखेगा। बताया जा रहा है कि कर्मचारियों के वेतन में औसत 14 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। नए वेतनमान पर चार प्रतिशत डीए (महंगाई भत्ता) एक जनवरी 2017 से मिलेगा।

सूत्रों के मुताबिक साढ़े चार लाख से ज्यादा नियमित अधिकारियों-कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने पर सरकार के खजाने पर सालाना साढ़े चार हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा। नए वेतन में ग्रेड पे और डीए समाहित होगा। 2.57 के फॉर्मूले से वेतन का निर्धारण होगा।

प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी को विकल्प भरकर देना होगा। वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नए वेतनमान में औसत 14 प्रतिशत तक वेतन में बढ़ोतरी होगी। केंद्र की तर्ज पर एक जनवरी से वेतन पर चार प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जाएगा। पेंशनरों का निराकरण छत्तीसगढ़ से सहमति मिलने के बाद होगा।

एरियर का होगा फैसला

सूत्रों का कहना है कि वेतन वृद्धि को लेकर किसी भी स्तर पर असमंजस की स्थिति नहीं है, लेकिन एरियर भुगतान को लेकर मामला उलझा हुआ है। इसका फैसला मंगलवार को कैबिनेट में ही होगा। दरअसल, प्याज और अरहर खरीदी ने सरकार का पूरा गणित गड़बड़ा दिया है। करीब ढाई हजार करोड़ रुपए का खर्च सरकार पर एकदम से आ गया है। इस कारण तय नहीं हो पा रहा है कि भुगतान कितनी किस्तों में किया जाए। दरअसल, एरियर भुगतान में सरकार पर आठ से दस हजार करोड़ रुपए भार आने की संभावना है।

प्रोफेसर, अध्यापक और निगम-मंडल के कर्मियों का फैसला बाद में

वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी सातवां वेतनमान सिर्फ नियमित कर्मचारियों को दिया जाएगा। विश्वविद्यालय और तकनीकी शिक्षण संस्थाओं को प्रोफेसर, अध्यापक, पंचायत सचिव, निगम-मंडल के अधिकारियों-कर्मचारियों को लेकर फैसला अलग से होगा। निगम-मंडल कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव का कहना है कि सातवां वेतनमान निगम-मंडल में भी लागू किया जाए।

लोनिवि लेगा सड़क, पुल, पुलिया बनाने की अनुमति

कैबिनेट में लोक निर्माण विभाग नई व्यवस्था के तहत बजट में स्वीकृत सड़क, पुल, पुलिया और भवनों के काम के लिए योजनाओं की अनुमति का प्रस्ताव रखेगा। सरकार ने इस साल से ये व्यवस्था लागू की है कि कोई भी काम शुरू करने से पहले विभाग को नीतिगत निर्णय कैबिनेट से कराना होगा। इसके बाद स्थायी और राज्य स्तरीय वित्त समितियों की बैठकें होंगी। इसके साथ ही बैठक में 22 मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

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