देशव्यवसाय

सरकारी बैंकों में कामकाज ठप, चाहिए ‘नोटबंदी’ का बोनस

बैंकों के विलय को लेकर विरोध एवं अन्य मांगों को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी आज हड़ताल पर हैं. इसके कारण सामान्य बैंकिंग गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं. हड़ताल की कॉल यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन यूएफबीयू के तत्वाधान में विभिन्न यूनियनों ने किया है. बैंक यूनियनों की मांग है कि केन्द्र सरकार द्वारा मर्जर की प्रक्रिया को रोका जाए और देशभर में बैंक कर्मियों को नोटबंदी के दौरान किए गए ओवरटाइम का भुगतान बतौर बोनस किया जाए.

भारतीय बैंक संघ आईबीए पहले ही ग्राहकों को सूचित कर चुका है कि हड़ताल के समय शाखाओं में कामकाज प्रभावित हो सकता है. आईबीए ने बैंकों से प्रभाव को कम करने के लिये पहले से उपाय करने को कहा है. बैंक शाखाओं में जमा और निकासी, चैक समाशोधन, एनईएफटी तथा आरटीजीएस लेन-देन प्रभावित होगा. आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक तथा कोटक महिंद्रा बैंक जैसे निजी बैंकों में चैक क्लिएरेंस में देरी को छोड़कर कामकाज सामान्य है.

सरकार तथा बैंक प्रबंधन की तरफ से कोई आश्वासन नहीं मिला है. भारतीय मजदूर संघ बीएमएस से सम्बद्ध नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स एनओबीडब्ल्यू के अनुसार सरकार ने हड़ताल को टालने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं. इसलिए हड़ताल के कारण बैंक ग्राहकों को होने वाली किसी भी दिक्कत के लिए सीधे सरकार ही जिम्मेदार होगी. गौरतलब है कि यूनियनों ने हड़ताल के लिए तीन अगस्त को नोटिस दे दिया था. एनओबीडब्ल्यू ने कहा है कि सरकार बैंक कर्मियों की मांग को लेकर उदासीन बनी हुई है. बैंक कर्मचारियों की यह हड़ताल बैंकों के निजीकरण और विलय के खिलाफ है. बैंक यूनियनों की मांग है कि बैंकों में सभी पदों पर भर्ती की जाये और बैंकों में अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियां भी की जायें. यूनियनों की मांग है कि नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मचारियों ने कई घंटे अतिरिक्त बैठक काम किया है. उन्हें अतिरिक्त काम का ओवरटाइम दिया जाना चाहिये.

Related Articles

Back to top button