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शिवराज का नेता प्रतिपक्ष बनने से इन्कार, दावेदार पर संशय बरकरार

भोपाल : मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नेता प्रतिपक्ष बनने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं को बता दिया है कि वह 13 साल तक लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, इसलिए चाहते हैं कि नेता प्रतिपक्ष पद पर किसी नए व्यक्ति को मौका मिले। शिवराज के रुख के बाद नेता प्रतिपक्ष को लेकर फिर संशय गहरा गया है कि भाजपा में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा।

पार्टी द्वारा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और डॉ. विनय सहस्त्रबुद्घे को विधायक दल की बैठक में भेजे जाने से माना जा रहा है कि रायशुमारी की जगह हाईकमान की मंशा के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। फिलहाल नरोत्तम मिश्रा को सबसे सशक्त दावेदार माना जा रहा है। उनके अलावा भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव भी इस दौड़ में शामिल हैं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि विंध्य के ब्राह्मण नेता केदारनाथ शुक्ल या राजेंद्र शुक्ल भी दावेदार हो सकते हैं। केदारनाथ शुक्ल का नाम पहले भी विधानसभा अध्यक्ष के लिए चर्चा में आया था, लेकिन उन्हें पद नहीं मिल पाया। केदार के जरिये पार्टी विंध्य का धन्यवाद करना चाहती है, क्योंकि इस क्षेत्र से भाजपा को उम्मीद से ज्यादा सीटें मिली हैं। उधर, स्पीकर के चुनाव को लेकर भी भाजपा अपनी रणनीति उजागर नहीं कर रही है। संभावना जताई जा रही है कि भाजपा अचानक स्पीकर का प्रत्याशी उतारकर चौंका सकती है।

चुनाव नहीं होगा
भाजपा सूत्रों की मानें तो विधायक दल की बैठक में नेता प्रतिपक्ष के लिए चुनाव नहीं होगा। हाईकमान जिसका नाम तय करके भेजेगा, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्घे उसका एलान करेंगे।

निर्विवाद नाम बनेगा पसंद
पार्टी नेताओं की सोच है कि नेता प्रतिपक्ष पद के लिए हाईकमान की पहली पसंद नरोत्तम मिश्रा हैं, पर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की ओर से भूपेंद्र सिंह का नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। वरिष्ठता का हवाला देकर गोपाल भार्गव भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। हाईकमान चाहता है कि लोकसभा चुनाव तक पार्टी में मतभेद न उभरें, इसलिए आम सहमति बनाए जाने की कोशिश की जा रही है। उधर, विधायक दल की बैठक रविवार (छह जनवरी) को भाजपा के प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई है। इसमें नेता प्रतिपक्ष का चयन हो सकता है।

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