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गरीब को नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ, जर्जर और पुराने मकान में रहने को मजबूर

आज भी पात्र व्यक्ति योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के काट रहे हैं चक्कर

छत्तीसगढ़: सरकार ने इसी उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की थी कि 2024 तक प्रत्येक गरीब व पात्र व्यक्ति के रहने के लिए पक्का आशियाना हो, वहीं गरीब भी यहीं उम्मीद लगाए बैठें हैं कि उन्हें रहने के लिए सिर पर पक्की छत मिलेगीं। लेकिन सच तो यह हैं कि आज भी गरीब व पात्र व्यक्ति तो योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं वहीं अमीर, प्रभावशाली लोगों की बल्लें-बल्ले हो रहीं हैं। आलीशान व बडे-बडे मकान, चौपहिया वाहन, गाडिय़ाँ, सरकारी कर्मचारी हैं तो कोई बड़े जमींदार हैं, राजनीति में पूर्व सरपंच से लेकर तहसील क्षेत्र के कई प्रभावशालीे लोग एवं जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। सभी प्रकार की सुविधाएँ इन लोगों के पास होने के बावजूद भी ये बेचारे अब प्रधानमंत्री आवास का लाभ लेने के लिए गरीब बन जाते हैं। मगर गरीब व पात्र व्यक्ति तो अभी भी उक्त योजना में नाम जुड़वाने व लाभ पाने के लिए धक्के ही खा रहें हैं। वहींं पंचायत प्रशासन व अधिकारियों की मिलीभगत से पात्र व गरीब आवास से वंचित है तो अमीर धन्नासेठ व रसूखदार जमकर मजे लूट रहें हैं। इस सन्दर्भ में छत्तीसगढ़ जांजगीर चांपा थाना पामगढ, पनगाँव का मामला सामने आया हैं जिसमें रहने वाले विद्या प्रसाद खूंटे जिनके पांच भाई हैं, विद्या प्रसाद खूंटे शादीशुदा हैं उनके दो लड़के और एक लड़की है। विद्या प्रसाद ने बताया कि हम प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित है। गाँव के प्रभावशाली लोग जिनके पक्के मकान भी हैं वह भी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं और जरूरतमंदों को यह योजना नहीं मिल रही है। विद्या प्रसाद ने गाँव के सरपंच से कई बार इस बारे में बात की परंतु किसी ने उनकी बात को नहीं सुना वह जिस मकान में रहते हैं वह 32 वर्ष पुराना है। झोपड़ी आकार का है जिसमें वह सब परिवार रह रहे हैं, बरसात के दिनों में यह डर लगा रहता है कि परिवार के सदस्य इसमें दबा ना जाए।

यही नहीं विद्या प्रसाद खूंटे के भाई परिवार की माली हालत को देखते हुए अपने परिवार के साथ रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेश पलायन कर गए हैं। विद्या प्रसाद खूंटे के खाने-पीने के लिए परिवार के सदस्य दर-दर भटकने लगे। विद्या प्रसाद ने अपनी लाचारी बताते हुए कहा कि घर में एक जवान बेटी है उसकी शादी कैसे होगी, घर पूरी तरह जर्जर हो चुका है। बरसात के पूर्व घर नहीं बना तो पूरे परिवार के समक्ष और भी विकट समस्या उत्पन्न होगी। सरकार की ओर न ही अब तक घर मिल सका है नहीं शौचालय। गाँव में सभी को सरकारी सुविधा मिल रही है पर हम गरीब परिवार को पूछने वाला कोई नहीं है।

पंचायतों में कई प्रभावशाली लोग जिनके पास दस बीघा से भी अधिक जमीन, निजी स्कूल, चार पहिए वाहन के अलावा नौकरीपेशा वाले कई लोग गरीबी का चोला ओढ़ कर गरीबों के हक की पक्की छत छीन रहें हैं। यहीं नहीं एक ही मकान में रहने के बावजूद पिता सहित सभी बेटों ने अलग-अलग राशन कार्ड बनाकर एक ही परिवार में पिता, पुत्र सहित तीन-तीन, चार-चार लोगों के सूची में नाम दर्ज हैं। इनकी शिकायत होने के बाद भी किसी ने भी कोई ध्यान नहीं दिया।

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