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Budget Indepth Analysis: पीएम मोदी ने अमित शाह की रणनीति को दिया धार

नई दिल्ली : भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की की चाहत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंख दे दिया। लोकसभा चुनाव की दहलीज पर शुक्रवार को जो बजट घोषणाएं हुईं, वह भाजपा की पचास फीसद की लड़ाई की रणनीति को पूरा आकार देगा। बजट घोषणाओं के जरिए एक झटके में लगभग 25 करोड़ आबादी लाभ के दायरे में खड़ी हो गई है। शक की गुंजाइश नहीं है कि इनमें से साठ सत्तर फीसद भी भाजपा के पक्ष में गई तो बाजी हाथ में।

शुक्रवार को पेश मोदी सरकार के आखिरी बजट में खुद के लिए भी राहत की आस लगाए बैठे कई वर्षों को निराशा हो सकती है। लेकिन भाजपा की राजनीतिक बिसात पर सटीक है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसान कर्ज माफी की घोषणा की है, वहीं मोदी सरकार ने तत्काल प्रभाव से 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों को सालाना छह हजार रुपये की मदद शुरू कर दी है।

नोटबंदी के बाद विपक्ष की ओर से असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी पर ही सबसे बड़ा निशाना साधा जा रहा है। सरकार ने प्रधानमंत्री श्रमयोगी महाधन के जरिए लगभग 10 करोड़ लोगों को साठ साल की जिंदगी के बाद का सपना दिखाया है। यानी जब वह नि:शक्त होंगे। यह वह वर्ग है जो पेंशन जैसी किसी योजना से वंचित था। केंद्रीय वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने यह कहकर एक बड़ा संदेश भी दिया कि देश के संसाधन पर पहला हक गरीबों का है। अब तक भाजपा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस बयान को सार्वजनिक करने से नहीं चूकती रही है कि संसाधन पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है।

निम्न मध्यमवर्ग को आयकर में छूृट देते हुए जहां तीन करोड़ लोगों को राहत दी है वहीं लगभग डेढ़ करोड़ मछुआरों को किसानों जैसी सुविधा देना राजनीतिक रूप से भी अहम है। अब उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड भी मिलेगा और किसानों को मिलने वाली दर पर ऋण।

ध्यान रहे कि भाजपा का मिशन 2019 कुछ इसी आधार पर गढ़ा गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 17 करोड़ वोट मिले थे जो राष्ट्रीय दलों के खाते में आने वाले वोट का लगभग आधा था। इस बार जब भाजपा और राजग के खिलाफ दूसरे सभी दलों के एकजुट होने की अटकल है तो कोशिश होगी कि कुल वोट का आधा हासिल किया जाए। यानी आधी बिसात की लड़ाई।

बजट में घोषित योजनाएं अगर प्रभावी रहीं तो यह दांव सफल हो सकता है। वैसे भी हर पांच साल में बड़ी संख्या में नए वोटर जुड़ते हैं। पिछली बार भाजपा ने नए वोटर के रूप में जुड़े लगभग नौ करोड़ वोट अपने खाते में जोड़ लिया था।

ऐसा नहीं कि इससे पहले भाजपा चुप थी। केंद्रीय योजनाओं के लगभग 22 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंचने की लगातार कोशिश हो रही है। जाहिर है कि उनमे से कईयों को बजट में घोषित नई योजनाओं का लाभ भी मिल सकता है। आयुष्मान योजना में बड़ी संख्या में सीमांत किसानों से लेकर मजदूर भी आते हैं। नई घोषणाएं एक तरह से उन लाभार्थियों पर डबल कोट की तरह काम करेगा और सुनिश्चित करेगा कि वह भाजपा के साथ खड़े रहें। ध्यान रहे कि खुद भाजपा के लगभग 11 करोड़ सदस्य हैं।

किसान, मजदूर, निम्न मध्यम आयवर्ग जहां पूरे देश में बिखरा है, वहीं मछुआरों की सुध का खास अर्थ है। दरअसल पश्चिम बंगाल और ओडिशा से लेकर आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और महाराष्ट्र तक के तटीय क्षेत्र को साधने की कोशिश है।

भाजपा पिछले लगभग दो वर्षों से इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है और इन राज्यों की लगभग डेढ़ सौ सीटों पर जीत का फार्मूला भी गढ़ रही है। इसी लिहाज से इन क्षेत्रों में वरिष्ठ मंत्री भी तैनात किए गए हैं। इस बजट के बाद भाजपा कुछ और धमक के साथ लाभार्थियों तक पहुंचेगी इसमें कोई शक नहीं है।

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