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लोकसभा में आज संविधान संशोधन बिल ला सकती है सरकार, मायावती ने कहा- हम समर्थन करेंगे

नई दिल्ली : सवर्णों को आर्थिक आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन बिल ला सकती है। इस बीच बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, “सवर्ण आरक्षण के प्रस्ताव का उनकी पार्टी समर्थन करेगी। हालांकि, मोदी सरकार यह फैसला एक छलावा है।”

इससे पहले सवर्ण आरक्षण को कांग्रेस, आप और एनसीपी ने समर्थन देने की बात कही है। आज संसद का आखिरी दिन है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है।

मायावती ने कहा- सही नीयत से नहीं लिया फैसला
मायावती ने कहा, “लोकसभा चुनाव से पहले लिए गया यह फैसला हमें सही नीयत से लिया गया नहीं लगता है। यह चुनावी स्टंट और राजनीतिक छलावा लगता है। अच्छा होता अगर भाजपा सरकार यह फैसला चुनाव के और पहले लेती। बाबासाहेब के अथक परिश्रम और त्याग के बाद ही गरीब और शोषित वर्ग के दलित और आदिवासियों को आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था काफी पुरानी हो चुकी है। इसलिए एससी-एसटी ओबीसी को उनकी आबादी के अनुपात के हिसाब से आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए।”

आरक्षण 49.5% से बढ़कर 59.5% हो जाएगा : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस फैसले से विभिन्न वर्गों का कुल आरक्षण 49.5% से बढ़कर 59.5% हो जाएगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% तय कर रखी है। भाजपा का वोट बैंक मानी जाती रही सवर्ण जातियां आरक्षण की मांग करती रही हैं। जनरल कैटेगरी में सवर्णों के अलावा मुस्लिम और अन्य धर्मों के लोग भी शामिल होंगे। आरक्षण के लिए परिवार की अधिकतम सालाना आय 8 लाख रुपए तय की गई है। माना जा रहा है कि सरकार ने यह कदम एससी- एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटे जाने से नाराज सवर्णों को लुभाने के लिए उठाया है। इसका खामियाजा पार्टी को हाल ही में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवाकर भुगतना पड़ा था।

आरक्षण के लिए 5 प्रमुख मापदंड : 1. परिवार की सालाना आमदनी 8 लाख रु. से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 2. परिवार के पास 5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए। 3. आवेदक के पास 1,000 वर्ग फीट से बड़ा फ्लैट नहीं होना चाहिए। 4. म्यूनिसिपलिटी एरिया में 100 गज से बड़ा घर नहीं होना चाहिए। 5. नॉन नोटिफाइड म्यूनिसिपलिटी में 200 गज से बड़ा घर न हो।

सरकार यह करेगी: अभी आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान नहीं, इसे जोड़ा जाएगा
अभी संविधान में जाति और सामाजिक रूप से पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान है। संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 15, 16 में आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान जोड़ा जाएगा।

अभी एससी को 15%, एसटी को 7.5% और ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जा रहा है।
अब तक सवर्णों, मुस्लिमों, सिखों, ईसाइयों सहित किसी भी धर्म को आरक्षण नहीं मिलता है।

अड़चनें बरकरार: सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता
संविधान विशेषज्ञ डाॅ. आदिश चंद्र अग्रवाल ने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में साफ किया था कि किसी भी सूरत में आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं हो सकता। 2018 में भी यह फैसला बरकरार रखा गया। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने कहा कि सामान्य वर्ग के संपन्न लोगों के लिए अवसर कम होंगे तो वे कोर्ट जा सकते हैं। ऐसा हुआ तो मामला दोबारा अटक सकता है। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने कहा कि सामान्य वर्ग के संपन्न लोगों के लिए अवसर कम होंगे तो वे कोर्ट जा सकते हैं। ऐसा हुआ तो मामला दोबाराअटक सकता है।

संविधान में संशोधन के लिए दोनों सदनों के 67% सांसदों का समर्थन जरूरी है। लोकसभा में एनडीए के 59%, जबकि राज्यसभा में 36% सांसद हैं। यानी अपनेदम पर बिल पास कराना नामुमकिन है।
कांग्रेस, आप, एनसीपी ने समर्थन की बात कही। लोकसभा में इन तीनों के 11%, राज्यसभा में 23% सांसद हैं। यानी लोकसभा में 70% समर्थन से बिल पास हो सकता है। राज्यसभा में आंकड़ा 59% पर अटक सकता है।

27 साल में कई कोशिशें: नरसिम्हा सरकार समेत 9 राज्यों के फैसले अटक गए थे
1991 में केंद्र सरकार ने सवर्णों को 10% कोटा देने का फैसला किया था। 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया। 2003 में भाजपा, 2006 में कांग्रेस ने इसके लिए मंत्री समूह बनाए थे।

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