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नारायण मूर्ति समेत सभी को साथ लेकर चलेंगे नंदन नीलेकणि

बेंगलुरु। इन्फोसिस संस्थापकों द्वारा एक तरह का बगावत किये जाने के बाद नये चेयरमैन के तौर पर कंपनी में लौटे नंदन नीलेकणि ने निवेशकों और कर्मचारियों की चिंताएं दूर करने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने कहा कि वह कंपनी में लांग टर्म गवर्नेंस स्थापित करने, स्थायित्व लाने और कंपनी के करिश्माई व अहम संस्थापक एन. आर. नारायणमूर्ति के साथ संबंध सुधारने पर गौर करेंगे।

62 वर्षीय नीलेकणि कंपनी के सात संस्थापकों में से एक हैं। वे कंपनी के सीईओ भी रहे हैं। शुक्रवार को उन्होंने निवेशकों से कांफ्रेंस कॉल की, मीडिया से बात की और बोर्ड मीटिंग में भी हिस्सा लिया। बोर्ड मीटिंग के बाद जारी बयान में मूर्ति के हालिया दिनों में उपजे मतभेदों को दुर्भाग्यपूर्ण कहा गया है। नीलेकणि ने कहा, ‘मैं कंपनी में वापस लाया गया हूं क्योंकि बहुत विपरीत परिस्थितियों में काम करने और सफल रहने का मेरा रिकॉर्ड रहा है। मैं इसलिए भी यहां हूं क्योंकि मैं आम सहमति में भरोसा रखता हूं।’ अपने लक्ष्यों को लेकर उन्होंने कहा, ‘पहला लक्ष्य है स्थायित्व लाना और यह सुनिश्चित करना कि बोर्ड सदस्यों से लेकर निवेशक तक सभी एक साथ हों। दूसरा लक्ष्य यथाशीघ्र सीईओ की नियुक्ति की प्रक्रिया को शुरू करना है, जिसके लिए एक सर्च एजेंसी को भी चुना गया है।’

उन्होंने बोर्ड के लिए टिकाऊ प्रशासनिक ढांचा बनाने की बात भी कही। इसके लिए नामांकन कमेटी से अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी गई है। रणनीति की समीक्षा और भविष्य को लेकर अक्टूबर में ब्लूप्रिंट पेश करने को भी नीलेकणि ने अपने लक्ष्यों में शुमार किया। हालांकि उन्होंने इस सवाल को टाल दिया कि सिक्का द्वारा 2021 तक 20 अरब डॉलर (1,280 अरब रुपये) के राजस्व के लक्ष्य की समीक्षा होगी या नहीं।

नीलेकणि ने कंपनी संस्थापकों और बोर्ड के बीच मतभेदों पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘मैं 100 फीसद हिस्सेदारों का प्रतिनिधि हूं और सुनिश्चित करना चाहता हूं कि दूरदर्शी व्यक्तित्व व सह संस्थापक नारायणमूर्ति और बोर्ड के बीच अच्छे संबंध बने रहें।’ नीलेकणि ने मूर्ति और कुछ अन्य संस्थापकों की ओर से कंपनी के प्रशासन को लेकर शिकायतों को भी गंभीरता से लेने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘मैं निजी तौर पर निष्पक्ष होकर जांच रिपोर्ट देखूंगा और उचित कार्रवाई का फैसला करूंगा।’ हालांकि इजरायल की कंपनी पनाया के अधिग्रहण में धांधली को लेकर आई जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के सवाल को उन्होंने टाल दिया।

नीलेकणि के आने के बाद रुका औचित्यहीन : सिक्का

इन्फोसिस में बतौर चेयरमैन नंदन नीलेकणि के आते ही कंपनी से पूरी तरह विदाई लेने पर पूर्व सीईओ विशाल सिक्का ने कहा कि अब कंपनी में बने रहने का औचित्य नहीं था। पिछले हफ्ते सीईओ पर से इस्तीफा देने के बाद उन्हें वाइस चेयरमैन बनाया गया था। गुरुवार को चेयरमैन आर शेषासायी ने दो निदेशकों और सिक्का के साथ कंपनी और बोर्ड छोड़ने का फैसला किया था। सिक्का ने कहा कि नीलेकणि की वापसी के बाद भी कंपनी से जुड़े रहना अर्थहीन था। सिक्का ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने सह संस्थापक नारायणमूर्ति के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की थी। उनकी टिप्पणी केवल उन परिस्थितियों पर थी, जिससे ध्यान भंग हो रहा था।

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