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MP Bypoll: ये 5 ग‍लतियां CM शिवराज को पड़ी भारी

मध्‍य प्रदेश के मुंगावली और कोलारस उपचुनावों में कांग्रेस को सफलता मिली है और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. राजनीतिक विश्‍लेषक कह रहे हैं कि इन उपचुनावों में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की प्रतिष्‍ठा दांव पर थी क्‍योंकि ये सीटें उनके संसदीय क्षेत्र गुना के अंतर्गत आती हैं. विश्‍लेषक यह भी कह रहे हैं कि बीजेपी ने प्रचार के दौरान कई गलतियां की, जिनकी वजह से उनको हार का सामना करना पड़ा.

1. गुना संसदीय क्षेत्र में मुंगावली और कोलारस सीटों के कारण बीजेपी ने मुद्दों के बजाय व्‍यक्ति पर प्रचार केंद्रित किया. दरअसल गुना कांग्रेस नेता ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की संसदीय सीट है. इसलिए बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ में उनको घेरने की रणनीति बनाई. लिहाजा बीजेपी का प्रचार व्‍यक्ति के खिलाफ केंद्रित हो गया. पार्टी अपनी नीतियों का प्रचार करने में पिछड़ गई.

2. इसके मुकाबले ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने स्‍थानीय मुद्दों और जातीय समीकरण पर जोर दिया. इसकी बानगी इस रूप में समझी जा सकती है कि कुछ समय पहले मुंगावली क्षेत्र में पड़ने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी शासकीय महाविद्यालय के प्रिंसिपल के सस्पेंड किए जाने की घटना ने तूल पकड़ा था. दरअसल, प्रिंसिपल बीएल अहिरवार के सस्पेंड किए जाने से वहां का युवा नाराज था. ज्योतिरादित्य ने इसे भांपते हुए इसको राजनीतिक रंग देने में तनिक देर नहीं लगाई. वह युवाओं के साथ धरने पर बैठ गए. लिहाजा सरकार को अपने कदम पीछे करने पड़े और फैसला बदलना पड़ा.

3. बीजेपी जहां ज्‍योतिरादित्‍य पर हमले करते रही, वहीं सिंधिया पॉजिटिव एजेंडे के साथ सामने आए. इसके अलावा उन्‍होंने अशोक नगर जिले की मुंगावली और शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट पर जाति आधारित समूहों के साथ सीधा संपर्क स्‍थापित करने में कामयाबी हासिल की. लोगों से संवाद स्‍थापित करने के लिए उन्‍होंने डोर-टू-डोर कैंपेन किया. लगता है कि वोटरों को उनका यह तरीका पसंद आया.

4. इन इलाकों में सहारिया आदिवासी समुदाय की बड़ी आबादी है. कांग्रेस के प्रति इनका शुरू से रुझान रहा है. बीजेपी इनको रिझाने में बहुत कामयाब नहीं रही जबकि सिंधिया लगातार ये कहते रहे कि वे राज्य में बदलाव के लिए आए हैं. वे चाहते हैं कि कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता में आए ताकि गांवों और आदिवासियों की हर इच्छा को पूरा किया जा सके.

5. शिवराज जहां सिंधिया पर पर्सनल अटैक करने में लगे थे, वहीं सिंधिया लगातार ये कहते रहे कि वे राज्य में बदलाव के लिए आए हैं. वे चाहते हैं कि कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता में आए ताकि गांव के लोगों की हर इच्छा को पूरा किया जाएगा. वहीं बीजेपी ने 15 मंत्रियों को चुनाव प्रचार में उतार दिया. खुद सीएम शिवराज ने जबर्दस्‍त अभियान चलाया. इससे पूरा मुकाबला शिवराज बनाम ज्‍योतिरादित्‍य हो गया. चूंकि क्षेत्र ज्‍योतिरादित्‍य का था, इसलिए उनको इसका लाभ मिला.

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