आज मोदी करेंगे महिला दिवस पर बेटी बचाओ अभियान के विस्तार और राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत
झुंझुनूं… राजस्थान में सबसे खराब लिंगानुपात के लिए बदनाम रहा जिला। आज 8 मार्च को गौरवशाली पलों का गवाह बनेगा। जनगणना-2011 में राजस्थान के 33 जिलों में सबसे खराब लिंगानुपात वाले इस जिले में लड़कियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई। तब 1000 लड़कों पर महज 837 लड़कियां थीं, वहीं अब संख्या सुधरकर 955 हो गई है। 36 माह तक लगातार किए गए प्रयासों से अब यह जिला देश में बेटियों के घर के रूप में पहचान बनाने में कामयाब हुआ है। इस सुधार के लिए झुंझुनूं को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय कई बार सम्मानित भी कर चुका है। यही कारण है कि महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहीं से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को विस्तार देने के साथ ही राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत भी करेंगे। अभिनेत्री प्रियंका चौपड़ा और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी भी शरीक होंगी। बताया जा रहा है कि साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए इन योजनाओं को राजस्थान से लॉन्च की तैयारी की गई है। मोदी गुरुवार दोपहर 12:55 बजे झुंझुनूं पहुंचेंगे। वे हवाई पट्टी परिसर में आयोजित कार्यक्रम में डेढ़ घंटे रुकेंगे।
अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा भी आएंगी
प्रदेश में सबसे खराब लिंगानुपात के लिए बदनाम था झुंझुनूं; 36 माह में एेसा सुधार किया कि देश में बनी ‘बेटियों के घर’ के रूप में पहचान, इसलिए पीएम यहीं आ रहे
यूं बेहतर होता गया झुंझुनूं
2017
2016
2015
2014
955
933
910
892
2011
1000 लड़कों पर 837 लड़कियां थीं
2017
955 पहुंच गई इनकी संख्या
हमारी 5 सफलताएं भी बनी पीएम के झुंझुनूं आने का कारण
1 महिला शिक्षा में झुंझुनूं देश के चुनिंदा जिलों में शुमार है। महिला शिक्षा में जिला देश में 74 प्रतिशत महिला साक्षरता के साथ अहम स्थान रखता है।
2 सैन्य बहुल जिला होने के कारण झुंझुनूं में सबसे ज्यादा वीरांगनाएं हैं जो पति के देश सेवा में जाने के बाद घर परिवार और समाज की जिम्मेदारियों को बखूबी उठा रही हैं। बच्चों को पढ़ा कर सेना में भेजने की हिम्मत दिखाई।
3 झुंझुनूं जिले की महिलाएं नर्सिंग व चिकित्सा क्षेत्र में सबसे अधिक हंै। प्रदेश में जिले की महिलाएं चिकित्सा सेवा में परचम लहरा रही हैं।
4 कोख में बेटियों का कत्ल रोकने की मुहिम में सबसे अहम भूमिका में झुंझुनूं की बेटियां हैं। अब तक हुए 106 डिकॉय आॅपरेशन में 16 में जिले की महिलाओं ने कोख में बेटी मारने वालों को पकड़वाने में अपनी भूमिका निभाई।
5 झुंझुनूं को दो बार नारी सशक्तिकरण पुरस्कार मिले हैं। 21 दिसंबर 2014 को 2.35 लाख लोगों ने यहां पर बेटी बचाने की शपथ ली थी।
सोनीपत में तो बेटियां बेटों से आगे | हरियाणा का सोनीपत लिंगानुपात में सबसे आगे है। 2014 में 1 हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 830 थी। वहीं, जनवरी 2018 में पहली बार यह संख्या 1005 पहुंच गई।