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शिवरात्रि 2018 पूजन शुभ मुहूर्त और व्रत विधि: जानें महाशिवरात्रि पर कैसे करें पूजा

Maha Shivratri 2018 Vrat Vidhi: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि में चंद्रमा सूर्य के सबसे समीप माना जाता है। अतः इस चतुर्दशी को शिवपूजा करने से भक्तों को भगवान शिव से मनवांच्छित फल की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि का पर्व परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है। स्कंदपुराण के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उपवास किया जाता है, इस तिथि को सर्वोत्तम माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि में भगवान शिव की पूजा की जाती है और व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद चतुर्दशी तिथि को अन्न-जल ग्रहण किए बिना रहा जाता है।

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करना शुभ माना जाता है। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। भगवान शिव की विशेष रात्रि महाशिवरात्रि को जागरण किया जाता है और अगले दिन प्रातः काल में ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पित किया जाता है। भगवान शिव को बिल्व पत्र बेहद प्रिय होते हैं। शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को रुद्राक्ष, बिल्व पत्र, भांग, शिवलिंग औक काशी अतिप्रिय हैं।

महाशिवरात्रि 2018 पूजा शुभ मुहूर्त: महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 13 फरवरी की आधी रात से शुरु होकर 14 फरवरी तक रहेगा। इस दिन भगवान शिव का पूजन सुबह 7 बजकर 30 मिनट से शुरु होकर दोपहर 3 बजकर 20 मिनट तक किया जाएगा।

पौराणिक मान्यता के अनुसार चतुर्थी के दिन भोलेनाथ की शादी मां पार्वती से हुई थी, इस दिन भगवान शिव के भक्तों द्वारा उनकी बारात निकाली जाती हैं। महाशिवरात्रि के उपवास के दौरान भक्तों को गेहूं दाल और चावल से दूर रहना चाहिए। इस दिन कई भक्त बिना आहार ग्रहण किए व्रत करते हैं लेकिन जो लोग निराहार नहीं कर सकते हैं वो फल, चाय, कॉफी का सेवन कर सकते हैं। शाम को पारण करते समय पहले भगवान शिव की पूजा की जाती है। उसके बाद कुट्टू के आटा या साबू दाने के आटे का इस्तेमाल किया जाता है। व्रत का खाना पकाने के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है।

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