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मध्य प्रदेश: शिवराज सरकार चुनावी साल में अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रमोशन दे सकती है , यह होगी प्रमुख शर्त

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों को खुशी देने वाली है. प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) की सरकार उच्च स्तर पर पदोन्नति शुरू करने पर विचार कर रही है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार जुलाई से सितंबर के बीच पदोन्नति देने शुरू करेगी. हालांकि, पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन रहेगी.यानी न्यायालय का जो निर्णय रहेगा, वह अधिकारियों और कर्मचारियों को स्वीकार होगा.मध्य प्रदेश में सात साल से पदोन्नति पर रोक लगी हुई है.

क्या नाराज हैं मध्य प्रदेश के सरकारी अधिकारी और कर्मचारी

राज्य सरकार ने अधिकारियों-कर्मचारियों की नाराजगी दूर करने के दूसरे विकल्प के रूप में वरिष्ठ पद का प्रभार देना शुरू किया है. पुलिस और जेल विभाग के कर्मचारियों को आठ माह पहले यह लाभ दिया गया था. अब स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को प्रभार दिया जा रहा है. लेकिन प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी इससे संतुष्ट नहीं बताए जा रहे हैं.

उनका कहना है कि प्रभार देना अलग बात है और पदोन्नति अलग बात है. उनका कहना है कि वरिष्ठ प्रभार मिलने से पैसा तो मिल जाएगा,पर वह प्रतिष्ठा (हैसियत) नहीं मिलेगी. अधिकारियों और कर्मचारियों का कहना है कि पदोन्नति कर्मचारियों का अधिकार है, उन्हें यह मिलना ही चाहिए. इसे लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों ने आंदोलन की चेतावनी दी है.ऐसा नहीं किए जाने से कर्मचारियों का नुकसान हो रहा है.

सुप्रीम कोर्ट में लंबित है पदोन्नति का मामला

यहां हम आपको बता दें कि अप्रैल 2016 को जबलपुर हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 निरस्त कर दिया था. इसके विरुद्ध सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई और तभी से मामला लंबित हैं.पिछले सात साल में प्रदेश में करीब 70 हजार कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इनमें से करीब 39 हजार कर्मचारी ऐसे हैं,जिन्हें सेवानिवृत्ति से पहले पदोन्नति मिलनी थी.हर साल पांच हजार से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

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