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वित्त मंत्रालय ने जारी की 9500 ‘हाई रिस्क’ कंपनियों की सूची

नई दिल्ली । वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) ने ‘हाई रिस्क’ वाली 9,491 से ज्यादा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की एक सूची जारी की है। एफआईयू-इंडिया की वेबसाइट पर जारी इस सूची में उन कंपनियों के नाम शामिल हैं जिन्हें ‘हाई रिस्क’ कैटिगरी में रखा गया है।

दरअसल, एफआईयू ने अपनी जांच में पाया है कि इन सभी एनबीएफसी ने 31 जनवरी तक मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के नियमों का पालन नहीं किया था।

8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी के बाद कई नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों पर आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय की खास नजर थी, क्योंकि इन कंपनियों पर काला धन रखने वालों की मदद करते हुए उनके पुराने नोट बदलवाने का संदेह था।

उस वक्त भी कई एनबीएफसी और सहकारी बैंकों को पुराने नोटों को अवैध तरीके से नए नोटों में बदलवाने में शामिल पाया गया था। इन कंपनियों और सहकारी बैंकों ने काले धन को बैक डेट की एफडी दिखाकर चेक जारी कर दिए, जबकि रिजर्व बैंक ने इन्हें ऐसे डिपॉजिट्स लेने से साफ मना किया था।

प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत सभी एनबीएफसीज के लिए फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन में एक प्रमुख अधिकारी नियुक्त करने और 10 लाख रुपये या इससे अधिक के सभी संदिग्ध लेन-देन की जानकारी एफआईयू को देना अनिवार्य है।

पीएमएलए के सेक्शन 12 के तहत प्रत्येक रिपोर्टिंग एंटिटि के लिए सभी लेन-देन के रिकॉर्ड्स रखने और निर्देशों के मुताबिक, अपने ग्राहकों एवं लाभ पाने वालों की पहचान की पुष्टि एफआईयू से कराना जरूरी है। एक्ट में इन एंटिटिज को लेन-देन के और क्लाइंट्स की पहचान के रिकॉर्ड्स पांच साल तक रखने को कहा गया है।

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