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शराब सिन्डीकेट की निगाहे मुनाफा वाईन स्टोर पर

शराब सिंडिकेट की नजर करीब 1000 करोड़ रुपये के राजस्व वाली दुकानों पर है। ये वह
दुकानें हैंए जिनके लिए ई.टेंडरिंग में कोई भी आवेदन नहीं आया है। ऐसे में शराब
कारोबारियों का गठजोड़ 200 से अधिक दुकानों की दरों में प्रतिस्पर्धा गिराने की फिराक
में भी दिख रहा है।

इस आशंका को भांपते हुए आबकारी मुख्यालय के अधिकारी सतर्क हो
गए हैं। हालांकिए फिलवक्त दुकानों के आवंटन के लिए मुख्यालय के अधिकारी शासन की
शरण में जा रहे हैंए ताकि बिना किसी राजस्व क्षति के शराब की दुकानों का आवंटन
किया जा सके। 16 मार्च से 28 मार्च के बीच दो फेज में ई.टेंडरिंग के माध्यम से प्रदेश की
करीब 462 दुकानों के लिए आवेदन मांगे गए थे। 619 में से 157 के करीब दुकानों का
नवीनीकरण पहले ही 20 फीसद अधिक दर पर कर दिया गया था।

बावजूद इसके भी शेष
में से 50 फीसद दुकानों के लिए टेंडर खाली ही रह गए। साथ ही करीब 1000 करोड़ रुपये
के राजस्व पर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है। दून में भी 38 दुकानों का आवंटन
टेंडर न मिल पाने के कारण लटका पड़ा है। आमतौर पर शराब की दुकानों को लेकर खासी
जोड़.तोड़ रहती थी और लॉटरी होने पर किसी की भी किस्मत खुल सकती थी।


पिछले दो वित्तीय वर्ष में ई.टेंडरिंग की व्यवस्था होने से सीधे तौर पर यह तय हो गया कि
जो जितनी ऊंची बोली लगाएगाए दुकान उसे ही मिलेगी। बावजूद इसके 50 फीसद
दुकानों के लिए टेंडर न मिल पाना कई सवाल खड़े करता है।ऐसा नहीं है कि शराब
कारोबार में सिंडिकेट खत्म हो गया हैए

बल्कि यह बात भी सामने आ रही है कि अब
उच्चतम दर की जगह दुकानों को बेहद कम प्रतिस्पर्धा या मनमाने दाम पर हथियाने के
प्रयास शुरू हो गए हैं। आबकारी आयुक्त दीपेंद्र कुमार चौधरी भी इस बात से इन्कार नहीं
करते कि इतनी बड़ी संख्या में दुकानों का आवंटन न हो पाने के पीछे किसी न किसी चाल
को अंजाम देने के प्रयास जरूर किए जा रहे हैं। यही कारण भी रहा कि पिछली दफा भी
इस तरह के समीकरणों के चलते कई दुकानों को कम दर पर भी आवंटित करने की स्थिति
खड़ी हो गई थी। साथ ही उन्होंने कहा कि इस दफा शराब सिंडिकेट के मंसूबों को
कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। पूरे प्रयास किए जाएंगे कि जिस दुकान का जो
आधारभूत राजस्व तय किया गया हैए उसकी वसूली हर हाल में कर दी जाए।

दून में 38 दुकानों का आवंटन नहीं
राजस्व के लिहाज से सबसे बड़े जिले देहरादून में भी 94 में से 38 दुकानों का आवंटन शेष
है। पिछली दफा दून को 510 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य मिला थाए जो अब बढ़कर
561 करोड़ रुपये हो गया है। ऐसे में दुकानों के आवंटन को लेकर अधिकारी टेंशन में नजर
आ रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2016.17 व 2017.18 में आबकारी विभाग के राजस्व का लक्ष्य
हासिल नहीं हो पायाए जबकि इस दफा 2650 करोड़ रुपये के सापेक्ष 28 मार्च तक ही
2754 करोड़ रुपये हासिल कर लिए गए थे।


नए वित्तीय वर्ष 2019.20 की बात करें तो अकेले शराब की दुकानों से ही 2135 करोड़
रुपये ;कुल 3100 करोड़ से अधिकद्ध का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में करीब आधे लक्ष्य पर
तस्वीर साफ न हो पाने से अधिकारी चिंतित नजर आ रहे हैं। हालांकिए बचाव के तौर पर
अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि पिछली दफा ई.टेंडोरग होने पर कारोबारियों ने बेहद
अधिक बोली लगा दी थीए लिहाजा क्षमता से अधिक दर तय होने के चलते इन पर हाथ
डालने से शराब कारोबारी बच रहे हैंए या इन्हें कम दर पर प्राप्त करने की जुगत में हैं।

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