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कर्नाटक विधानासभा चुनाव: दक्षिण का दुर्ग ढहा तो 4 मोर्चे पर बढ़ेगी मुश्किलें; कर्नाटक का ओपिनियन पोल बीजेपी के लिए खतरे की घंटी क्यों?

कर्नाटक विधानासभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही बीजेपी दक्षिण का एकमात्र दुर्ग बचाने में जुट गई है. 79 साल के बीएस येदियुरप्पा पार्टी के पोस्टरबॉय बनाए गए हैं., धर्मेंद्र प्रधान, प्रह्लाद जोशी समेत कई केंद्रीय मंत्रियों को चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए कर्नाटक में सक्रिय किया गया है.

इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी कई रैलियां प्रस्तावित है, लेकिन इस सबसे बावजूद हालिया सर्वे ने पार्टी हाईकमान की टेंशन बढ़ा दी है. अगर यह ओपिनियन पोल रिजल्ट में बदलता है तो पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है.

इसकी 2 बड़ी वजह है. पहला, कर्नाटक दक्षिण का एकमात्र राज्य है, जहां बीजपी सत्ता में है. यहां लोकसभा की कुल 28 सीटें भी है. दूसरा, कर्नाटक मॉडल के सहारे ही पार्टी दक्षिण के तेलंगाना में भी सत्ता में आने की कोशिश में है. अगर कर्नाटक हारती है तो तेलंगाना की रणनीति पर भी इसका असर होगा.

ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं कि कर्नाटक का चुनाव बीजेपी के लिए कितना महत्वपूर्ण है. साथ ही दक्षिण के अन्य राज्यों में पार्टी का क्या हाल है?

कर्नाटक क्यों महत्वपूर्ण, 2 प्वॉइंट्स…
1. यहां लोकसभा की 28 सीटें, बीजेपी के पास 25- कर्नाटक में लोकसभा की कुल 28 सीटें हैं और 2019 में बीजेपी को 25 सीटों पर जीत मिली थी. 2013 में राज्य की सत्ता गंवाने के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां पर पार्टी को सिर्फ 17 सीटें मिली थी. जो 2009 के 19 सीटों के मुकाबले कम था.

2009 में बीजेपी को कई राज्यों में नुकसान हुआ था, लेकिन पार्टी ने कर्नाटक में जबरदस्त परफॉर्मेंस करते हुए 19 सीटें हासिल की थी. 2019 की बात करे तो बीजेपी भले 25 सीटें जीती हो, लेकिन 7 सीटों पर जीत का मार्जिन 1 लाख से भी कम है. चमराजनगर सीट पर बीजेपी के बी श्रीनिवास प्रसाद 18175 वोटों से जीत दर्ज की थी.

ऐसे में अगर विधानसभा चुनाव में कोई बड़ा खेल होता है, तो इसका असर इन सात सीटों पर पड़ सकता है. बीजेपी यह भली-भांती जानती है.

2. राज्यसभा की 12 सीटें, बीजेपी के पास 6- कर्नाटक में राज्यसभा की 12 सीटें हैं, जिसमें से बीजेपी के पास अभी 6 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 5 और जनता दल (सेक्युलर) के पास 1 सीट है. कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस के एचडी देवगौड़ा राज्यसभा पहुंचे थे.

राज्यसभा के सदस्य विधायकों के बूते ही चुने जाते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव होना है. बीजेपी अगर विधानसभा चुनाव में बढ़िया परफॉर्मेंस करती है तो राज्यसभा चुनाव में पार्टी को फायदा हो सकता है.

कर्नाटक में क्यों बढ़ी है बीजेपी की मुश्किलें?

लगातार हो रहे इस्तीफों ने बढ़ाई पार्टी की टेंशन- कर्नाटक में मार्च महीने में बीजेपी के भीतर 3 बड़े इस्तीफे हो चुके हैं. 3 मार्च को भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे विधायक के मदल विरुपक्षप्पा ने इस्तीफा दे दिया था. 9 मार्च को पार्टी के विधानपार्षद पुत्तन्ना ने इस्तीफा दे दिया. पुत्तन्ना लिंगायत समुदाय का बड़ा चेहरा हैं.

31 मार्च को भी बीजेपी से एक इस्तीफा हो गया. 6 बार के विधायक के एन वाई गोपालकृष्ण ने इस्तीफा दे दिया. चुनाव के वक्त में टिकट घोषणा से पहले इस्तीफों की झड़ी से पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है. कांग्रेस ने इधर दावा कर दिया है कि बीजेपी के कई विधायक संपर्क में है.

मुख्यमंत्री बदलने का फैसला बैकफायर कर गया- 2004 में ही बीजेपी की कर्नाटक में बीजेपी की बड़ी एंट्री हो गई थी. हालांकि, सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. 2006 में एक सियासी उठापटक के बाद बीजेपी वहां सरकार बनाने में कामयाब हो गई.

बीएस येदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए, लेकिन ज्यादा दिनों तक सरकार नहीं चल पाई. 2008 में फिर से चुनाव हुए और बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिली, लेकिन 3 साल बाद ही येदियुरप्पा को एक मामले में सजा सुना दी गई.

येदियुरप्पा के बाद बीजेपी ने कर्नाटक की कमान सदानंद गौड़ा और जगदीश शेट्टार को सौंपा, लेकिन फॉर्मूला काम नहीं आया. बीजेपी 2019 में सरकार बनाने के बाद भी मुख्यमंत्री बदलने का फॉर्मूला लागू किया. येदि को हटाकर बासवराज बोम्मई को सीएम बनाया.

हालांकि, चुनाव से कुछ दिन पहले पार्टी ने फिर से येदियुरप्पा को सक्रिय किया है. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं.

ओपिनियन पोल में क्या है?
हाल ही में कई सर्वे एजेंसियों ने कर्नाटक को लेकर ओपिनियन पोल जारी किया है. एबीपी न्यूज़-सी वोटर ने भी राज्य की सभी 224 सीटों का ओपिनियन पोल जारी किया है. इस ओपिनियन पोल में 24 हजार 759 लोगों की राय ली गई है.

पोल के मुताबिक कर्नाटक में सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस को मिलती नजर आ रही हैं. ओपिनियन पोल में कहा गया है कि कांग्रेस को 115-127 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी को 68-80 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि जेडीएस को 23-35 सीटें मिलती दिख रही हैं.

राज्य में सरकार बनाने के लिए 113 सीटों की जरूरत है. अगर ओपिनियन पोल सच साबित हुए तो कांग्रेस की सरकार कर्नाटक में बन सकती है.

एक अन्य संस्था लोक पोल के ओपिनियन पोल भी कुछ इसी तरह का है. लोक पोल के मुताबिक कर्नाटक में कांग्रेस को 116-123 सीटें मिल सकती है, जबकि बीजेपी को 77-83 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. जेडीएस को इस पोल में 21-27 सीटें दी गई है.

ओपिनियन पोल रिजल्ट में बदला तो गड़बड़ होगा दक्षिण का गणित
कर्नाटक का ओपिनियन पोल अगल नतीजों में तब्दील हो गया तो बीजेपी को दक्षिण में बड़ा झटका लग सकता है. कैसे, आइए विस्तार से जानते हैं.

केरल और आंध्र प्रदेश में जीरो सीट- दक्षिण के केरल और आंध्र प्रदेश में बीजेपी के पास न तो लोकसभा में और न ही विधानसभा में एक भी सीट है. केरल में 2021 में विधानसभा चुनाव हुए थे. उस वक्त बीजेपी वहां मजबूती से चुनाव लड़ी थी, लेकिन पार्टी को हार मिली. लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी केरल में जीत नहीं पाई.

केरल में वाममोर्चा के पास विधानसभा की 99 सीटें हैं, जबकि यूपीए के पास 41 सीट. राज्य में विधानसभा की 140 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 71 की जरूरत होती है.

आंध्र में भी पार्टी की स्थिति काफी कमजोर है. यहां 2019 में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हुए थे. इस चुनाव में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की थी. बीजेपी यहां पर जीरो पर सिमट गई थी.

तमिलनाडु और तेलंगाना में भी राह आसान नहीं- तमिलनाडु और तेलंगाना में बीजेपी का खाता तो खुला है, लेकिन आगे की राह आसान नहीं है. तमिलनाडु में बीजेपी एआईएडीएमके के साथ मिलकर चुनाव लड़ी, जिसके कारण पार्टी को 4 सीटों पर जीत हासिल हुआ. लोकसभा में पार्टी के पास एक भी सीट नहीं है.

हाल ही में बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच खटपट हो गई थी, जिसके बाद से माना जा रहा है कि गठबंधन तमिलनाडु में टूट सकता है.

पिछले कुछ सालों से बीजेपी ने तेलंगाना में सक्रियता जरूर बढ़ाई है, लेकिन वहां भी राह आसान नहीं है. तेलंगाना में बीजेपी को लोकसभा में 4 और विधानसभा में 1 सीटें मिली थी. कर्नाटक में पार्टी हारती है तो तेलंगाना की राह आसान नहीं होगा.

लोकसभा की 129 सीटें, बीजेपी के पास सिर्फ 29- पूरे दक्षिण भारत की बात करें तो लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं, जिसमें से तमिलनाडु की 39, कर्नाटक की 28, आंध्र प्रदेश की 25, केरल की 20 और तेलंगाना की 17 सीटें शामिल है.

बीजेपी को 2019 में 129 में से सिर्फ 29 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी को तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में एक भी सीटें नहीं मिली थी. कर्नाटक में अगर बीजेपी कमजोर होती है तो इसका नुकसान लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है.

बात विधानसभा सीटों की करे तो दक्षिण के पांचों राज्यों में विधानसभा की कुल 892 सीटें हैं. इनमें तमिलनाडु की 234, कर्नाटक की 224, आंध्र प्रदेश की 175, केरल की 140 और तेलंगाना की 119 सीटें शामिल है. बीजेपी के पास अभी इन 892 में सिर्फ 109 सीटें हैं.

काउ बेल्ट पर फोकस बढ़ाएगी कांग्रेस- ओपिनियन पोल अगर परिणाम में बदलता है तो इसका फायदा कांग्रेस को ज्यादा होगा. कांग्रेस हाईकमान दक्षिण छोड़ काउ बेल्ट पर फोकस करेगी. इसका नुकसान भी बीजेपी को हो सकता है.

काउ बेल्ट यानी हिंदी पट्टी में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य आते हैं, जहां इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. यहां भी लोकसभा की 65 सीटें हैं, जिसमें से बीजेपी को 2019 में 63 सीटों पर जीत मिली थी.

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