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वारदातः पुलिस में मौजूद है हनीप्रीत का कोई जासूस

गुरमीत राम रहीम की राजदार हनीप्रीत करीब महीने भर से लगातार पुलिस से भाग रही है. पुलिस है कि हनीप्रीत तो दूर, उसकी परछाई तक भी नहीं पहुंच पा रही. अब सवाल ये कि आख़िर हनीप्रीत के पास वो कौन सी जादू की छड़ी है, जो हर बार पुलिस के पहुंचने से पहले ही उसे पुलिस की ख़बर हो जाती है? करीब तीस दिनों तक हर दरो-दीवार की खाक छानने के बाद हरियाणा पुलिस को भी ये शक हो चला है कि ये उसका कोई भेदिया ही है, जो हनीप्रीत को उसकी चाल से पहले ही वाकिफ़ करा देता है. यानी पुलिस में मौजूद है हनीप्रीत का कोई जासूस.

पिछले महीने भर से हनीप्रीत भाग रही है और क्या खूब भाग रही है. दुनिया के बड़े से बड़े भगोड़े फेल हो जाएं. ऐसे भाग रही है. कभी वो सिरसा में दिखती है, कभी रोहतक में नज़र आती है, कभी नेपाल में प्रकट होती है और कभी बिहार चली जाती है और तो और भागते-भागते वो कभी यूपी, राजस्थान, गुड़गांव होती हुई दिल्ली भी चली आती है, लेकिन पुलिस है कि एक बार भी उस तक कभी वक़्त पर नहीं पहुंच पाती.

तो क्या ये महज़ इत्तेफ़ाक है? हनीप्रीत का भगोड़ा सेंस है, जो कंप्यूटर से भी तेज़ चलता है? या फिर हरियाणा पुलिस में ही कोई वर्दीवालों का भेदिया है, जो पुलिस की हर तैयारी, हर प्लानिंग, हर छापेमारी की खबर उसे पुलिस के आने से पहले ही दे देता है? सवाल अजीब और चौंकानेवाला है. लेकिन इस सवाल में दम है और यही वजह है कि अब हरियाणा पुलिस ने भी महकमे में हनी के जासूसों की तलाश के लिए बाकायदा अपनी इंटरनल एनक्वायरी शुरू कर दी है. जी हां, इंटरनल एनक्वायरी, यानी पुलिस ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि हरियाणा पुलिस में वो कौन-कौन से लोग हैं, जो हनीप्रीत को पुलिस के मूवमेंट की ख़बर उस तक पुलिस के पहुंचने से पहले ही उसे दे देते हैं.

पिछले महीने भर से भाग रही हनीप्रीत ने हरियाणा पुलिस की जितनी किरकिरी कराई है, उतनी शायद किसी और ने नहीं कराई. कहने वाले यहां तक कह रहे हैं कि 57 हज़ार की पुलिस फ़ोर्स मिल कर भी एक अकेली लड़की को नहीं ढूंढ पा रही है, जिसका कोई पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड तक नहीं है. जबकि गाहे-बगाहे देश की पुलिस नेताजी की भैंस तक ढूंढने निकल पड़ती है. तो ज़ाहिर है, इस तंज़ के पीछे वजह भी है, जो पुलिस ने ही दी है. अब हाल के दिनों में हनीप्रीत के लोकेशन और वहां हुई पुलिस छापेमारी का रिकॉर्ड की देख लीजिए, आपको सच पता चल जाएगा.

पुलिस को 25 अगस्त को ही पता चल गया था कि राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसा में हनीप्रीत का भी हाथ है. ये और बात है कि तब उसके नाम एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी. लेकिन तब पुलिस ने उसे जाने दिया. 26 अगस्त को वो सिरसा के डेरे में रात भर रही और फिर ज़ेड प्लस सिक्योरिटी कमांडोज़ के साथ सारा माल बटोर कर ऐसे उड़न छू हुई कि फिर किसी को ढूंढे नहीं मिली.

सूत्रों की मानें तो हनीप्रीत 27 और 28 अगस्त को अपने भाई के ससुराल हनुमानगढ़ में रही, लेकिन यहां पुलिस 29 अगस्त को पहुंची. इसके बाद वो 30 अगस्त को राजस्थान के ही सांगरिया में एक भक्त के घर रही. यहां भी पुलिस उसके निकल जाने के बाद पहुंची. फिर हनीप्रीत 2 सितंबर को उदयपुर के शॉपिंग मॉल में नज़र आई. लेकिन यहां पुलिस को सिर्फ़ डेरे का एक केयरटेकर मिला.

तब तक हनीप्रीत के नाम लुक आउट नोटिस जारी हो चुका था और उसके नेपाल जाने की ख़बर सामने आ गई. इसके बाद पुलिस ने उसे 21 सितंबर को राम रहीम के गांव गुरसर मोडिया में घेरा, लेकिन यहां से भी वो पुलिस के आने से पहले ही निकल चुकी थी. हनीप्रीत 25 सितंबर को दिल्ली के लाजपत नगर में अपने वकील के पास आई, दो घंटे रुकीलेकिन पुलिस यहां उसकी सीसीटीवी फुटेज देखकर दो दिन बाद पहुंची.

पुलिस ने 26 सितंबर को दिल्ली के ही ग्रेटर कैलाश में कोठी नंबर ए-9 में छापेमारी की, लेकिन वो चंद घंटे पहले इसी कोठी के पिछले दरवाज़े से निकल गई. इसी तरह पुलिस ने पिछले चौबीस घंटे में गुड़गांव के एक फ्लैट समेत कई जगह दबिश दी. लेकिन हनीप्रीत हर जगह से पुलिस के हाथ आने से पहले भाग गई.

ज़ाहिर है, ये सिर्फ़ पैसों का खेल नहीं है. हरियाणा पुलिस में भी डेरे के अनुयायी शामिल हैं. आपको याद होगा कि 25 अगस्त को बाबा की गिरफ्तारी के बाद राम रहीम के गुर्गों से पुलिस ने एक ऐसा वायरलेस सेट बरामद किया था, जिससे वो लोग हरियाणा पुलिस की बातें सुन रहे थे. बात सिर्फ़ इतनी सी नहीं है, चुनावी सियासत की बात करें तो हरियाणा की खट्टर सरकार से गुरमीत राम रहीम की नजदीकी भी जगज़ाहिर है. ऐसे में हनीप्रीत कब पकड़ी जाएगी, पकड़ी जाएगी भी या नहीं. ये तो ऊपरवाला ही जानता है.

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