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इधर सईद की रैली पर भड़का गुस्सा, उधर मोदी की फलीस्तीन यात्रा का खाका खींचने में जुटे अधिकारी

26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्‍कर-ए-तैयबा के सह-संस्‍थापक हाफिज सईद की रैली में फलीस्तीन के राजदूत वलीद अबू अली को देखे जाने के कारण इस वक्त हर भारतीय के मन में गुस्सा भरा हुआ है। लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्विटर पर टैग करके इस मामले पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं और इजरायल नीति पर बदलाव की मांग कर रहे हैं। जहां देश के लोगों के अंदर फलीस्तीन के राजदूत और सईद की तस्वीरें देखकर गुस्सा भरा हुआ है तो वहीं भारत के उच्च अधिकारी इस वक्त पीएम मोदी के फलीस्तीन दौरे की तैयारियों में जुटे हुए हैं। पीएम मोदी अगले साल फरवरी में फलीस्तीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। सूत्रों की मानें तो पीएम फरवरी में संयुक्त अरब अमीरात के दौरे पर भी जाएंगे और उसी के साथ ही वह फलीस्तीन की यात्रा भी करेंगे।

11 से 13 फरवरी के बीच यूएई में वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट का आयोजन किया गया है। इसमें भारत को मेहमान देश के तौर पर आमंत्रित किया गया है। इसी समिट में शामिल होने के लिए पीएम मोदी फरवरी में यूएई जाएंगे और भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। यह पीएम मोदी का दूसरा यूएई दौरा होगा। अबु धाबी के राजकुमार और यूएई के सशस्त्र बलों के उप सर्वोच्च कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायद अल निहान दो बार भारत दौरे पर आ चुके हैं। निहान फरवरी 2016 में भारत आए थे और इस साल यानी 2017 में वह गणतंत्र दिवस में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे।

वहीं इस वक्त भारत के उच्च अधिकारी पीएम मोदी के फलीस्तीन दौरे की तैयारी कर रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो यूएई जाने से पहले या बाद में पीएम मोदी फलीस्तीन जा सकते हैं। मोदी के फलीस्तीन दौरे से पहले इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी भारत के दौरे पर आएंगे। सूत्रों का कहना है, ‘जैसे पीएम मोदी ने पहले इजरायल के दौरे के दौरान फलीस्तीन को छोड़ा था, ठीक उसी तरह अब फलीस्तीन दौरे के दौरान वह इजरायल नहीं जाएंगे… यह आइडिया ‘डी-हायफनेशन’ नीती के तहत आएगा।’

दरअसल, भारत ने हाल ही में संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में इजरायल को दरकिनार कर फलीस्‍तीन का साथ दिया था। इसी महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जेरूसलम को इजरायल की राजधानी का दर्जा देने के अमेरिका के फैसले को रद्द करने की मांग वाले प्रस्ताव के पक्ष में भारत सहित 128 देशों ने वोट किया था। ट्रंप ने इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों को आर्थिक मदद रोकने की धमकी दी थी। इसे लेकर विपक्ष की ओर से नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना भी हुई थी।

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