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गुरमीत राम रहीम सिंह उर्फ कैदी नंबर 1997 दफा 376, 511, 506: 10 साल की जेल

रेप केस में दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के लिए सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सजा का ऐलान कर दिया है. उनको 10 साल की सजा सुनाई गई है. सजा पर बहस पूरी होने के बाद राम रहीम जज के सामने रहम की भीख मांगने लगा. इस केस की सुनवाई के लिए रोहतक जेल के अंदर कोर्ट रूम बनाया गया था.

पंचकूला से जज जगदीप सिंह हेलीकॉप्टर से रोहतक पहुंचे थे. उन्होंने दोनों पक्षों को बहस के लिए 10-10 मिनट का समय दिया था. अभियोजन पक्ष ने राम रहीम के लिए उम्रकैद की मांग की थी. बचाव पक्ष ने कहा कि राम रहीम समाज सेवी हैं. उन्होंन भलाई के काम किए हैं. इसका संज्ञान लेते हुए सजा में नरमी बरती जानी चाहिए.

साल 2002 में सामने आए इस केस में राम रहीम के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 511 और 506 धारा के तहत केस चल रहा था. 25 अगस्त को पंचकूला में सीबीआई कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था. डेरा समर्थकों की हिंसा को देखते हुए इस बार सजा पर फैसले की सुनवाई के लिए रोहतक जेल में ही कोर्ट बनाया गया था.

जज के सामने रोने लगा डेरा प्रमुख

जज जगदीप सिंह के कोर्ट रूम में पहुंचते ही कार्यवाही शुरू कर दी गई. दोनों पक्षों के वकील ने जज के सामने अपना-अपना पक्ष रखा. इस दौरान बाबा रहीम चुपचाप खड़ा रहा. दोनों वकीलों की दलील सुनता रहा. सुनवाई के दौरान राम रहीम के आंसू निकल आए. वह खूब रोया. रोते हुए राम रहीम ने जज से माफी भी मांगी.

फर्श पर बैठा रोता रहा राम रहीम सिंह

इस केस की पूरी कार्यवाही खत्म होने के बाद भी राम रहीम फर्श पर बैठा रोता रहा. उसने कहा कि वह कोर्ट रूम से नहीं जाएगा. इसके बाद वकीलों ने उसे समझया. उसे जबरन कोर्ट रूम से बाहर निकाला गया. अब राम रहीम को आने वाले 10 साल के लिए कैदी नंबर 1997 का तमगा मिल गया है. महलों का ठग जेल की सलाखों के पीछे हैं.

दोषी ठहराते ही बेकाबू हुए थे समर्थक

इससे पहले 25 अगस्त को डेरा प्रमुख राम रहीम को दोषी करार देते ही उसके समर्थक बेकाबू हो गए थे. हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और यूपी में तोड़फोड़ और आगजनी होने लगी. पुलिस और डेरा समर्थकों के बीच जमक हिंसा हुई. डेरा समर्थकों ने मीडिया पर भी हमला बोल दिया. इस हिंसा में 38 लोगों की मौत हो गई.

10 साल की जेल नहीं फांसी की मांग

सीबीआई कोर्ट का फैसला आने के बाद मृतक रणजीत सिंह के जीजा प्रभु दयाल ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को कम से कम फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी. उसने एक नहीं सैकड़ों महिलाओं की अस्मत लूटी है. यदि भरोसा न हो तो हाईकोर्ट की निगरानी में डेरे में रहने वाली 200 से साध्वियों का मेडिकल करा लिया जाए.

साध्वी की चिट्ठी के जरिए हुआ खुलासा

बताते चलें कि साल 2002 में डेरा आश्रम में रहने वाली एक साध्वी ने चिट्ठी के जरिए डेरा प्रमुख पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. इस मामले में हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. कोर्ट के आदेश पर साल 2001 में सीबीआई को जांच सौंपी गई. साल 2007 में सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने के बाद कोर्ट ने केस पर सुनवाई शुरू की थी.

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