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ऐमजॉन-फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों पर नकेल से निवेश और नौकरियों पर संकट

केंद्र सरकार द्वारा ई-कॉमर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के नियमों को सख्त करने से विदेशी निवेशकों के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनियां सकते में हैं। उपभोक्ताओं को जहां अब सस्ती कीमत पर सामान नहीं मिलने की चिंता सता रही है, वहीं घरेलू रिटेलरों के बीच उल्लास का माहौल है। एफडीआई नीति में अप्रत्याशित बदलाव के कारण भारत में भारी निवेश करने वाली ऐमजॉन और वॉलमार्ट जैसी कंपनियां बेहद परेशान हैं, इससे क्षेत्र में नौकरियों पर भी तलवार लटक सकती है।

ऐमजॉन इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एक तरफ आप निवेश का आह्वान करते हैं, तो दूसरी तरफ बिना किसी परामर्श के रातोंरात पॉलिसी में बदलाव कर देते हैं। यह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की अवधारणा के खिलाफ है।’ सूत्रों ने बताया कि बुधवार शाम सरकार द्वारा नया सर्कुलर जारी करने के बाद छुट्टियों के सीजन के बावजूद अमेरिका के सिएटल में ऐमजॉन के कार्यालय में गहमागहमी का माहौल देखा गया। ऐमजॉन ने हमारी सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।

उपभोक्ताओं के लिए यह एक बड़ा झटका है और अगर पॉलिसी का सख्ती से पालन किया गया, तो डिजिटल मार्केटप्लेस पर डिस्काउंट, कैशबैक और भारी तादाद में सामनों की बिक्री का दौर खत्म हो सकता है।

उपभोक्ताओं में मायूसी
राष्ट्रीय राजधानी के 32 वर्षीय उद्यमी ने कहा, ‘कई ऐसे ब्रांड हैं, जो केवल ऑनलाइन ही उपलब्ध हैं और कहीं नहीं। मैं इन ऑनलाइन कंपनियों के बिग सेल का संयम से इंतजार करता हूं, ताकि पूरे सीजन के लिए कपड़े खरीद सकूं। इससे मैं काफी पैसे बचा पाता हूं। मुझे उम्मीद है कि डिस्काउंट का दौर खत्म नहीं होगा।’

घरेलू ऑफलाइन रिटेलर खुश
घरेलू रिटेलरों ने सरकार के कदम का स्वागत किया है। ये रिटेलर कई बार सरकार से ई-कंपनियों के खिलाफ शिकायत भी कर चुके हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘सरकार द्वारा हाल में ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगाम लगाने से बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी और सभी दूसरे बिजनस मॉडल के रूप में ई-कॉमर्स के अपनाएंगे। अब ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों व्यापारी अपने सामानों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचने में सक्षम होंगे।’

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