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तेजस्वी को किया बेनकाब, छोटे मोदी के रोल को न करें नजरअंदाज

पिछले 24 घंटे में बिहार में सत्ता का समीकरण बदल चुका है. बड़े भाई-छोटे भाई लालू और नीतीश की जोड़ी टूट गई है और अब नीतीश-मोदी की दोस्ती के चर्चे आम हैं. नीतीश फिर से एनडीए के पाले में हैं और इस्तीफे के 15 घंटे के भीतर दोबारा सत्ता संभालने जा रहे हैं. लालू ने इसे नीतीश का धोखा और बीजेपी-जेडीयू का फिक्स्ड मैच बताया तो बीजेपी ने नेचुरल एलायंस. लेकिन आखिर इतना तेज घटनाक्रम कैसे हुआ.

इस पूरे मामले में एक किरदार सबसे ज्यादा चर्चा में रहा- सुशील मोदी का. सुशील मोदी ने लगातार खुलासों से भ्रष्टाचार के मामले पर लालू कुनबे को घेर लिया और बाद में सीबीआई और ईडी के छापों के बाद नीतीश को मजबूर होकर आरजेडी से गठबंधन तोड़ना पड़ा. देखते हैं आखिर कैसे छोटे मोदी ने बिहार में मिशन एनडीए को अंजाम दिया.

तेजस्वी पर किए ताबड़तोड़ खुलासे

बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने इसी साल 4 अप्रैल को लालू परिवार के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पर मिट्टी घोटाले का पहला आरोप लगाया. इसके बाद सुशील मोदी एक-एक कर लालू यादव और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार बम फोड़ते रहे. तेजस्वी, तेजप्रताप, मीसा भारती, रागिनी यादव, राबड़ी देवी और लालू को लेकर लगातार सुशील मोदी ने खुलासे किए. इन खुलासों को लेकर उन्होंने एजेंसियों का दरवाजा भी खटखटाया. लालू परिवार के यहां सीबीआई और ईडी के छापे पड़े और फिर नीतीश को लालू से अलग होना पड़ा. लालू परिवार के ऊपर सुशील मोदी के खुलासों ने आरजेडी को बैकफुट पर लाकर रख दिया.

लालू फैमिली को करोड़ों के फ्री गिफ्ट पर घेरा

सुशील मोदी ने पिछले कुछ सालों में लालू परिवार को करोड़ों के फ्री गिफ्ट को लेकर भी घेरा. इसमें तेजस्वी के नाम पर कई संपत्तियों के लेन-देन पर सवाल खड़े किए गए. सुशील मोदी के अनुसार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनके भाई व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप की खुद और उनके परिवार की एक हजार करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्तियां हैं. पार्टी नेता प्रेमचंद गुप्ता ने जमीन लालू के बेटों के नाम क्यों की जिसपर म़ल बना.

इसके अलावा तेजस्वी और तेजप्रताप को चाचा और नाना से भी करोड़ों के उपहार मिले, जो जांच के दायरे में हैं. लालू की बेटी हेमा यादव और पत्नी राबड़ी देवी को उनके नौकर ललन चौधरी ने 2014 में करीब एक करोड़ रुपये की जमीन दान में दी थी. ललन के नाम से बीपीएल कार्ड भी बना हुआ है. ये भी जांच के दायरे में आ गए.

कानून व्यवस्था के मामले पर भी घेरा

बिहार में बढ़े अपराध के मामलों को भी सुशील मोदी ने लगातार उठाया. विभिन्न जिलों में मर्डर, अपहरण, लूट की घटनाओं के मामलों पर सुशील मोदी ने सीधे आरजेडी को घेरा. नीतीश सरकार पर हमला करते वक्त सुशील मोदी ये बताते कभी नहीं भूले कि जंगलराज की वापसी लालू के सत्ता में आने के कारण हुआ और पिछले काल में जब नीतीश के साथ बीजेपी थी तब हालात कुछ और थे.

नीतीश से अच्छा तालमेल

सुशील मोदी नीतीश के साथ पिछले एनडीए सरकार में भी डिप्टी सीएम थे और अब फिर वे इस पद पर लौट रहे हैं. नीतीश के साथ उनका तालमेल काफी अच्छा माना जाता है. बिहार में जंगलराज का मामला उठाते वक्त सुशील मोदी ने लगातार ये ध्यान रखा की नीतीश की छवि को कोई नुकसान नहीं पहुंचे. सुशील मोदी ने एक तरफ लालू कुनबे को निशाने पर लिया तो वहीं नीतीश को ऑफर भी दिया कि अगर वे लालू का साथ छोड़कर आते हैं तो उन्हें समर्थन के लिए बीजेपी तैयार है. बुधवार को जब नीतीश ने लालू से अलग होने का ऐलान किया तो कुछ मिनटों के अंदर ही पटना से लेकर दिल्ली तक बीजेपी सक्रिय हो गई और कुछ मिनटों में ही समर्थन का ऐलान कर दिया गया.

सुशील मोदी से क्या सीखना चाहिए विपक्ष को?

ऐसे वक्त में जब देश की राजनीति मोदी के ईर्दगीर्द फोकस होकर रह गई है ऐसे में सुशील मोदी का अभियान विपक्षी राजनीति के लिए एक बड़ा सबक साबित हो सकता है. बिहार में 2015 में चुनाव हारने के बाद ही सुशील मोदी ने जंगलराज खत्म करने का ऐलान किया और खुलासों के अभियान में लग गए.

सुशील मोदी ने कोई बड़ी रैली नहीं की और कोई बंद औऱ विरोध-प्रदर्शन नहीं किया. दस्तावेजों के जरिए लगातार खुलासे किए और लालू, उनके बेटे तेजस्वी और पूरे परिवार को भ्रष्टाचार के आरोपों में घेर लिया. ऐसे वक्त में जब कांग्रेस समेत तमाम दलों की रणनीति मोदी और बीजेपी को घेरने में विफल साबित हो रही है सुशील मोदी की ये रणनीति विपक्षी दलों के लिए एक सबक है.

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