देश

‘छोटे बच्चों के स्कूलों के लिए आयोग बनाएं, बदलें व्यवस्था, बस्ते का बोझ करें कम’

भोपाल। ढाई साल का बच्चा हुआ नहीं कि उसे नर्सरी में डाल दिया जाता है। मैं तो छह साल में स्कूल गया था। अब तो केजी 1, केजी 2 भी होती है। पहली कक्षा का नंबर तो बहुत बाद में आता है। यह बात मंगलवार को मॉडल स्कूल में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कही।

उन्होंने कहा कि बचपन से इतने बोझ की वजह से बच्चे कुठिंत होते हैं। उन्होंने स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह, दीपक जोशी और राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप लोग आयोग बनाएं। ये व्यवस्था बदलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि शिक्षकों को अलग-अलग नाम देकर शिक्षा की संपूर्ण व्यवस्था को अस्त-व्यस्त किया गया। एक शिक्षक है तो दूसरा शिक्षाकर्मी। अरे, जब शिक्षक के आगे कर्मी शब्द लगा दिया तो क्या छात्र उसे वो सम्मान दे पाएंगे जो शिक्षक को देते हैं। हम पूरी व्यवस्था को एक करेंगे। शिक्षकों को 30 साल की सेवा पूर्ण करने पर तीसरा समयमान वेतनमान देंगे और वरिष्ठता के आधार पर पदनाम में परिवर्तन करेंगे। यहां 51 शिक्षकों को राज्य स्तरीय सम्मान प्रदान किया गया। पिछले साल राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया। चौहान ने कहा कि पिछली सरकार ने शिक्षकों को कई श्रेणियों में बांट दिया। शिक्षा की संपूर्ण व्यवस्था को अस्त-व्यस्त किया। मुझे याद है कि 2003 में शिक्षकों का वेतन 2200 स्र्पए था। अब वरिष्ठ अध्यापक को 43 हजार स्र्पए मिल रहे हैं।

खेल का पीरियड होना ही चाहिए, ब्लू व्हेल पर प्रतिबंध लगाएंगे

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूलों में खेल का पीरियड होना ही चाहिए। खेल बहुत जरूरी है। इसे अनिवार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ब्लू व्हेल जैसे खेल हमारे देश की परंपरा नहीं है। यह खेल अलग ही संसार रच देता है। यह पश्चिम की संस्कृति है। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह इस पर प्रतिबंध लगाएंगे। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे खुद पढ़ाएं। किसी और को अपने एवज में पढ़ाने नहीं भेजें। ऐसे लोग ही शिक्षकों पर धब्बा लगाते हैं। उनका सम्मान कम होता है और पूरा समाज बदनाम होता है। शिक्षक केवल अच्छे नंबर लाकर ही अच्छा शिक्षक नहीं बनता। कई बुरे लोग भी अच्छे नंबर ले आते हैं। शिक्षक के अंदर तड़प कितनी है यह बात महत्वपूर्ण होती है।

पुराने दिनों को याद किया

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने अपने पुराने दिनों को याद किया। उन्होंने बताया कि पहले गुरु का सम्मान अद्भुत था। अब यह कम हो रहा है। इसके लिए समाज भी दोषी है। उन्होंने कश्यप सर, शैलबाला मैडम, कौशिक मैडम सहित कई शिक्षकों का नाम बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम राजनेता नहीं कर सकते। कई संस्थाएं ऐसी हैं जहां मानदेय बहुत कम है पर अनुशासन बहुत ज्यादा है। क्योंकि शिक्षक एक मिशन को लेकर काम करते हैं।

त्योहार के पहले बताएंगे महत्व : शाह

कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कहा कि अब पहली कक्षा से ही हर स्कूल में झंडावंदन किया जाएगा। झंडावंदन के बाद स्कूल लगेगा। इसी के साथ किसी भी त्योहार के पहले छात्रों को यह बताया जाएगा कि ये त्योहार क्यों मनाया जाता है। हर धर्म के त्योहार के बारे में उन्हें बताया जाएगा। ईद के पहले कुर्बानी का मतलब बताएंगे।

उन्होंने कहा कि पहली बार महिला संस्कृत विद्यालय शुरू किया जा रहा है। जल्द ही 40 हजार शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। इस मौके पर दीपक जोशी और अनुसूचित जाति, जनजाति विकास राज्य मंत्री लालसिंह आर्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में एसीएस दीप्ति गौड़ मुकर्जी, माशिमं के अध्यक्ष एसआर मोहंती, उपाध्यक्ष भागीरथ कुमरावत लोक शिक्षण आयुक्त नीरज दुबे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

Related Articles

Back to top button