..तो इस वजह से कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ के लिए चुना जंबूरी मैदान!
17 तारीख, यह तारीख आज के बाद इतिहास में याद रखी जाएगी. इस तारीख को मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ शपथ लेंगे. उनकी ताज पोशी के पहले 11 ब्राम्हाणों से शुभमुहर्त में मंत्रोपचार कराया जाएगा. इसके बाद ही वो प्रदेश के मुखिया की कमान सभांलेगे. पंडितों के विधिवत मंत्रोपचार, शंखनाद की ध्वनी और कांग्रेसियों की तालियों की गूंज के साथ-साथ जय-जय कमलनाथ के नारों के बीच जंबूरी मैदान में एमपी के कप्तान के रूप में कमलनाथ कमान संभालेंगे. कांग्रेसियों के लिए यह ऐतिहासिक पल भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा और रिकॉर्ड भीड से लबालब जंबूरी मैदान भी इस बात का साक्षी बन जाएगा.
कमलनाथ ने शपथ के लिए जंबूरी मैदान को ही क्यों चुना
उसी मैदान को चुना है जिसके लिए एक मिथक चर्चा-ए-आम है कि जो यहां शपथ लेता है वह एक दशक तक प्रदेश में राज करता है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान ने भी मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ से लेकर सैकड़ों राजनैतिक आयोजनों के लिए जंबूरी मैदान को ही चुना था. फिर उसके आगे की कहानी सबको पता है शिव के ‘राज’ का अंत और ‘कमल’ उदय का राजयोग बन गया है.
अब जंबूरी में जमा होने वाली भी में 25 फीसदी भीड़ उन किसानों की भी रहेगी, जिन्हें कमलनाथ से कर्जा माफी की उम्मीद है. किसान प्रदेश भर से सफर करके कमलनाथ को देखने और सुनने आएंगे. उनकी टकटकी भरी निगाहें सिर्फ कमलनाथ पर ही टिकी रहेंगी. शायद प्रदेश के किसानों को कर्जामाफी का तोहफा भी मिल जाए, इसी उम्मीद से घंटों का सफर तय करके किसान जंबूरी में जमा होंगे.
संत समाज का आर्शीवाद
कमलनाथ के शपथ कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सैकड़ों साधू-संत राजधानी में डेरा जमा चुके हैं. साधू-संतों को भी कमलनाथ और कांग्रेस सरकार से बहुत उम्मीद बनी हुई है. संतों ने चुनावी रण से पहले ही कांग्रेस को विजयी भव का आशीर्वाद दे दिया था. अब बदले में संत समाज को कमलनाथ से अपने मठ मंदिरों पर स्वामित्व और न्याय मिलने की आश है. साथ ही दर्जन भर मांगों के पूरे होने का भरोसा लेकर संत समाज कमंडल लिए जंबूरी में धूनी रमाने आ गए हैं.
संविदा कर्मचारीयों सहित सभी कर्मचारी वर्गों को भी कमलनाथ से एक आश बधीं है कि अब उनको भी तरजीह दी जाएगी. संविदा कर्मचारियों सहित महिलाओं को भी अपनी सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चेहरे पर सूकून भरी मुस्कुराहट नजर आने लगी है. कर्मचारियों का यह तबका भी बड़ी संख्या में मौजूद रहेगा.