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राज्यसभा के रण में जहां फंसी कांग्रेस, छत्तीसगढ़ के नेताओं को बनाई बैसाखी

रायपुर । राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा विरोध और अंतरकलह का सामना हरियाणा और राजस्थान में करना पड़ रहा है। हरियाणा के विधायकों को छत्तीसगढ़ में ठहराया गया है। यहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य चुने गए राजीव शुक्ला को पर्यवेक्षक बनाकर विधायकों को साधने का जिम्मा दिया गया है।

वहीं, राजस्थान के बागी विधायकों को कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कराने के लिए मंत्री टीएस सिंहदेव को मैदान में उतारा गया है। इस तरह छत्तीसगढ़ के नेताओं को कांग्रेस ने बैसाखी बनाया है।
हरियाणा के विधायक पिछले दो जून से राजधानी रायपुर में डेरा डाले हुए हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने हरियाणा के विधायकों से पिछले तीन दिन में पांच बार मुलाकात की। कुछ नाराज विधायकों को मनाने की कोशिश भी की। वहीं, सिंहदेव मंगलवार को राजस्थान पहुंच गए हैं। वे 10 जून तक वहीं रुकेंगे। कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो सिंहदेव दिल्ली से सीधे उदयपुर पहुंचे। वहां कांग्रेस के विधायकों को ठहराया गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित अन्य वरिष्ठ नेता वहां पहले से ही मौजूद थे।

राजस्थान और हरियाणा में भाजपा ने संख्या बल को देखते हुए एक-एक निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन किया है। राजस्थान में सुभाष चंद्रा तो हरियाणा में कार्तिकेय शर्मा कांग्रेस के खेमे में सेंध लगाने की तैयारी में है। अब विपक्षी सेंधमारी को रोकने और कांग्रेस उम्मीदवार को जिताने का जिम्मा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल और मंत्री सिंहदेव को सौंपा गया है।

भाजपा खरीद-फरोख्त का आरोप
मुख्यमंत्री बघेल ने मंगलवार को मीडिया से चर्चा में साफ कहा कि भाजपा जबरन तीसरा उम्मीदवार खड़ा करके रस्साकसी बढ़ा रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी सीट हम जीतेंगे। भाजपा अभी भी खरीद-फरोख्त पर लगी हुई है। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो खरीद-फरोख्त रोकना ही कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अगर इसे रोकने में कांग्रेस कामयाब हो जाती है, तो राज्यसभा की दो सीटें उसकी झोली में पहुंच जाएंगी।

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