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Chhattisgarh Panchayat Election 2020 : पंचायत चुनाव पर गहराया संकट, आरक्षण प्रक्रिया को हाई कोर्ट में दी चुनौती

बिलासपुर : Chhattisgarh Panchayat Election 2020 छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 में दी गई व्यवस्था को संविधान विस्र्द्ध बताते हुए इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी है। रिट याचिका पर बुधवार को चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। प्रारंभिक सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने केंद्र व राज्य शासन के अलावा राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके लिए चार सप्ताह की मोहलत दी है।

याचिकाकर्ता पुनेश्वर नाथ मिश्रा ने वकील रोहित शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर कहा है कि छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 में जो व्यवस्था दी गई है वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के साथ ही संविधान में दी गई व्यवस्थाओं के विपरीत है।

याचिकाकर्ता ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जिसमें ग्राम पंचायत, जनपद व जिला पंचायत के लिए हो रहे चुनाव में राज्य शासन ने आरक्षण की जो प्रक्रिया अपनाई है वह संविधान में दी गई व्यवस्था के विपरीत है।

याचिका के अनुसार ग्राम पंचायत के सरपंच से लेकर पंच व जनपद व जिला पंचायत के सदस्यों के लिए किए गए आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व निर्धारित मापदंडों के अनुरूप नहीं किया है। राज्य शासन ने आरक्षण की जो प्रक्रिया अपनाई है वह 50 फीसदी से अधिक है।

याचिकाकर्ता ने पंचायती राज अधिनियम की धारा 13(4)(2) धारा 17, 23, 25, 32 एवं 129(ई) को निरस्त करने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने राजनीति में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी के भीतर रखने की मांग की है।

याचिकाकर्ता ने पिछड़े वर्ग के नागरिकों में से अल्पसंख्यक, ऐसिड अटैक सरवाइवर, महिला, थर्ड जेंडर, एंग्लो इंडियन आदि को राजनीतिक रूप से पिछड़ा मानते हुए चुनाव में आरक्षण का लाभ देने की गुहार लगाई है। इसके लिए याचिकाकर्ता ने अपनी दलील भी पेश की है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसे वर्ग को राजनीति में आरक्षण देने से इनका मनोबल बढ़ेगा व इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होगी। इसके अलावा ये राजनीति में अधिक संवेदनशीलता के साथ अपने दायित्वों को निर्वहन करेंगे।

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