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पार्टी के बाद अब राज्यसभा में चलेगी ‘चाणक्य नीति’, जानिए क्या होगा असर?

2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी चाणक्य नीति के दम पर उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 80 में 73 सीटें दिलवाने के बाद अमित शाह राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे. अब अध्यक्ष अमित शाह अब राज्यसभा में जाएंगे. अमित शाह ने राज्यसभा के लिए अपना नॉमिनेशन कर दिया है. आंकड़ों की मानें, तो उन्हें चुनाव जीतने में कोई परेशानी नहीं होगी. ये पहली बार होगा कि अमित शाह सांसद बनेंगे. अमित शाह के राज्यसभा में जाने के कुछ बड़े मायने हैं –

1. नायडू के बाद बड़े चेहरे की कमी

पूर्व केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार बनाए जाने से राज्यसभा में एक बड़े चेहरे की कमी हो गई है. अगर अमित शाह राज्यसभा में आते हैं, तो अरुण जेटली के बाद वे वहां पर सबसे बड़ा चेहरा होंगे. अमित शाह पीएम मोदी के भरोसे मंद भी हैं, इसलिए मोदी-शाह का ये दांव बीजेपी के लिए कारगर साबित हो सकता है.

2. अब राज्यसभा में चाणक्य नीति

एनडीए सरकार के पास लोकसभा में तो पूर्ण बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसकी स्थिति कमजोर है. अमित शाह को मौजूदा दौर की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है, यही कारण है कि अमित शाह अगर राज्यसभा में आते हैं. तो एनडीए के लिए ये अच्छा होगा, अमित शाह अपनी नीति के दम पर राज्यसभा में भी विपक्ष को घेर पाएंगे.

3. सरकार में मिलेगा बड़ा पद!

मोदी सरकार में अभी कई बड़े मंत्रालय खाली हैं. अरुण जेटली वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय संभाल रहे हैं. वहीं वेंकैया नायडू के इस्तीफे के बाद एक और बड़े चेहरे की कमी हो गई. अगर अमित शाह राज्यसभा आते हैं, तो संभव है कि उन्हें सरकार में कोई बड़ा पद दिया जा सकता है.

4. पार्टी के बाद सरकार में मोदी-शाह जोड़ी

जब से बीजेपी में मोदी युग शुरू हुआ है, तभी से सभी दिग्गज एक किनारे हो गए हैं. पार्टी में पूरी तरह से अमित शाह और नरेंद्र मोदी की चलती है. अगर अमित शाह राज्यसभा के जरिए सरकार में एंट्री लेते हैं, तो पार्टी के बाद अब सरकार में भी मोदी-शाह की जोड़ी काम करेगी. चूंकि अमित शाह पीएम मोदी के काफी करीबी हैं तो हो सकता है कि उन्हें कोई बड़ा पद मिले और सरकार में भी शाह की नंबर 2 की हैसियत हो.

5. 2019 के बाद नहीं रहेंगे अध्यक्ष!

अमित शाह अभी बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर अपना दूसरा कार्यकाल कर रहे हैं. बीजेपी में नियम है कि कोई व्यक्ति दो से अधिक बार पार्टी अध्यक्ष नहीं बन सकता है. इसलिए अमित शाह पहले से ही इस तैयारी में हैं कि वह राष्ट्रीय राजनीति में किसी बड़े पद पर तैयार रहें, और अपनी पकड़ बनाए रखें.

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