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Ayodhya Land Dispute Case: रिकॉर्डिंग की मांग वाली याचिका को सूचीबद्ध करने के निर्देश

नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को Ayodhya Land Dispute Case की सुनवाई का लाइव टेलीकास्ट या उसके रिकॉर्डिंग की मांग वाली याचिका को मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के अध्‍यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। उक्‍त जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि चूंकि यह बेहद संवेदनशील मसला है, इसलिए हम मुख्‍य न्‍यायाधीश से आग्रह करते हैं कि इस याचिका पर वह खुद फैसला लें। हमारी गुजारिश है कि सीजेआई इस पर 11 सितंबर को सुनवाई करें। आइये जानते हैं अब तक मुस्लिम पक्ष की ओर से क्‍या दलीलें रखी गई हैं।

सेवादार के साथ देवता भी होते हैं…
कल सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के सेवादार होने के दावे को स्वीकार करने पर बाबरी मस्जिद होने का दावा कर रहे पक्ष के वकील से कई सवाल पूछे थे। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि सेवादार अकेला नहीं होता उसके साथ देवता होते हैं वह देवता के लिए अधिकार मांग रहा है। इस पर आप क्या कहेंगे? धवन लगातार कहते रहे कि वह अखाड़ा के सेवादार होने के दावे को स्वीकारते हैं लेकिन जमीन पर मालिकाना हक मुस्लिमों का ही है। अब मामले में 11 सितंबर को आगे की बहस होगी।

…वहां पूजा करते थे हिंदू
19वें दिन अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मस्जिद होने का दावा कर मालिकाना हक मांग रहे मुस्लिम पक्ष ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि वहां हिंदू पूजा करते थे। मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा कि वह निर्मोही अखाड़ा के सेवा पूजा के अधिकार का विरोध नहीं करते वह उनके सेवादार होने के दावे को स्वीकार करते हैं। जैसे ही धवन ने ये दलील दी पीठ के न्यायाधीशों ने धवन पर सवालों की झड़ी लगा दी। कोर्ट ने कहा कि अगर आप निर्मोही का सेवा पूजा का दावा स्वीकार कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप ये मान रहे हैं कि वहां मस्जिद के साथ मंदिर था।

चुपके से रखी रामलला की मूर्ति
इससे पहले अयोध्या में विवादित स्थल पर मस्जिद होने का दावा कर रहे पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि विवादित स्‍थल पर कोई चमत्कार नहीं हुआ था बल्कि हिंदू समुदाय के लोगों ने 22-23 दिसंबर 1949 को रात के अंधेरे में चुपके से रामलला की मूर्ति अंदर रखी थी। यह एक सुनियोजित हमला था। मस्जिद होने के समर्थन में यह भी कहा कि वह अल्लाह का दावा कर रहे हैं, उस इमारत पर दावा कर रहे हैं वे सड़क किनारे की किसी मस्जिद का दावा नहीं कर रहे। ये दलीलें मंगलवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड और उसके अन्य सहयोगियों की ओर से राजीव धवन और एजाज मकबूल ने दीं। इसके साथ धवन ने भी तिथिवार घटनाक्रम पेश कर अपना दावा साबित करने की कोशिश की।

हाईकोर्ट का फैसला अनुमानों पर
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने सोमवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम पक्षों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन और एजाज मकबूल ने कहा था कि हाई कोर्ट का आदेश अनुमानों और संभावनाओं पर आधारित है। न्यायाधीश मामले से जुड़े साक्ष्यों को लेकर निश्चित नहीं थे इसलिए उन्होंने भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की खुदाई की आपारंपरिक तकनीक पर ध्यान केंद्रित किया। धवन ने कहा कि बाबर ने मंदिर तोड़ कर मस्जिद नहीं बनाई थी। ढांचे के नीचे विशाल मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं। एएसआइ को खुदाई मे कई परतें मिली हैं। एक चीज एक परत में और दूसरी चीज दूसरी परत में मिली है अलग-अलग परतों में मिले अवशेषों को मिला कर एक यह नहीं कहा जा सकता कि विवादित ढांचे के नीचे मंदिर था।

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