व्यवसाय

टेलिकॉम सेक्टर का जल्द रिवाइवल होगा: टेलिकॉम सेक्रटरी

नई दिल्ली
टेलिकॉम सेक्रेटरी अरुणा सुंदरराजन ने कहा है कि 2017 में टेलिकॉम सेक्टर से रेवेन्यू और फीस में गिरावट अस्थायी थी और इसका बड़ा कारण ‘मुफ्त’ वॉयस टैरिफ ऑफर थे। उन्होंने कहा कि टेलिकॉम सेक्टर में जल्द रिवाइवल होगा। सुंदरराजन ने ईटी को बताया, ‘मेरा मानना है कि यह एक अस्थायी स्थिति है। वॉयस को ऐसे समय में अचानक लगभग मुफ्त कर दिया गया जब उससे अच्छा रेवेन्यू मिल रहा था। इसी वजह से एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) बहुत अधिक गिरा है।’

टेलिकॉम मार्केट में 2016 में प्रवेश करने वाली रिलायंस जियो के फ्री वॉयस और बेहद सस्ते डेटा टैरिफ का मुकाबला करने के लिए लगभग सभी टेलिकॉम कंपनियों ने मुफ्त वॉयस ऑफर पेश किए थे। इससे टेलिकॉम कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिट पर बड़ा असर पड़ा है। टेलिकॉम कंपनियों पर कर्ज का बोझ भी बहुत अधिक है। टेलिकॉम कंपनियों का रेवेन्यू घटने से सरकार को भी टेलीकॉम सेक्टर से मिलने वाली आमदनी कम हो गई है। टेलिकॉम सेक्टर में बिजनस का माहौल बहुत अधिक मुश्किल होने से वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर जैसी कंपनियों को मर्जर के लिए मजबूर होना पड़ा है और टाटा टेलिसर्विसेज, रिलायंस कम्युनिकेशंस और नॉर्वे की टेलीनॉर बिजनेस से बाहर हो गई हैं। एक अन्य छोटी टेलीकॉम कंपनी एयरसेल ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन दिया है।

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के डेटा के मुताबिक, टेलीकॉम इंडस्ट्री से मिलने वाली लाइसेंस फीस अक्टूबर-दिसंबर क्वॉर्टर में क्वॉर्टर-दर-क्वॉर्टर आधार पर लगभग 5 पर्सेंट गिरकर 3,104 करोड़ रुपये रही। टेलीकॉम सेक्टर का एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) अक्टूबर-दिसंबर क्वॉर्टर में 7.5 पर्सेंट घटकर 38,536 करोड़ रुपये रह गया। GSM सर्विसेज से मंथली ARPU 5.4 पर्सेंट घटकर 79 रुपये रहा। कैलेंडर ईयर 2017 के लिए, टेलीकॉम सेक्टर से सरकार को मिली लाइसेंस फीस 19 पर्सेंट गिरकर 12,975 करोड़ रुपये रही। टेलीकॉम इंडस्ट्री का ग्रॉस रेवेन्यू 2016 में 2.8 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2017 में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये पर आ गया।

टेलीकॉम कंपनियां अपने AGR का 8 पर्सेंट लाइसेंस फीस और लगभग 5 पर्सेंट स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज के तौर पर चुकाती हैं। टेलीकॉम सेक्टर से सरकार के लिए ये रेवेन्यू के दो बड़े जरिए हैं। लेकिन सुंदरराजन का कहना है कि टेलीकॉम सेक्टर में जल्द रिवाइवल हो सकता है। उन्होंने बताया, ‘डेटा की खपत बढ़ने के साथ इंडस्ट्री में स्थिरता आएगी और निश्चित तौर पर टैरिफ और रेवेन्यू सामान्य हो जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री को कंसॉलिडेशन से भी मदद मिलेगी। हालांकि, देश की पुरानी टेलीकॉम कंपनियों को ऐसी उम्मीद नहीं हैं। भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर जैसी टेलीकॉम कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल, राजन मैथ्यूज ने कहा, ‘हमें रेवेन्यू को लेकर दबाव कम होने की उम्मीद नहीं है। कॉम्पिटिशन और कंसॉलिडेशन के कारण हमें आगामी 3-4 महीनों में रेवेन्यू में लगातार कमी होने का अनुमान है।’

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