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डिजिटल वॉलेट ई-केवाईसी को लेकर आपके मन में आने वाले हर सवाल का जवाब

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल वॉलेट के लिए ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूरा करने की डेडलाइन में विस्तार नहीं किया है। अब प्रमुख ई-वॉलेट यूजर्स को 28 फरवरी 2018 तक ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करानी होगी, ऐसा न करने पर उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में आपके मन में इससे जुड़े तमाम सवाल आ रहे होंगे, हम अपनी इस खबर में आपके इन्हीं सवालों के जवाब देने जा रहे हैं।

आरबीआई ने प्रीपेड ई-वॉलेट के लिए केवाईसी पूरी करने के लिए 28 फरवरी तक का समय दिया है। तमाम अटकलों को खारिज करते हुए आरबीआई ने ये साफ कर दिया है कि वो इस तारीख को और आगे नहीं बढ़ाएगी। हालांकि आरबाआई ने इस बीच एक छूट दी है, इसमेंं वॉलेट में रखा मौजूदा बैलेंस बरकरार रहेगा और यूजर इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके अलावा यूजर्स अपने पैसे को बैंक खाते में भी ट्रांसफर कर सकेंगे, लेकिन अगर आप किसी दूसरे आदमी के ई-वॉलेट में रुपये ट्रांसफर करना चाहते हैं, तोआपको केवीआईसी डिटेल्स भरनी होगी। आरबीआई के इस फैसले का बड़ा असर पेटीएम, मोबिक्विक, ओला मनी और ऐमजॉन पे जैसे कंपनियों पर पड़ेगा।

क्या है KYC?

डिजिटल पेमेंट के लिए मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल शुरू करते वक्त, हमें अपना मोबाइल नंबर देकर वेरिफिकेशन करना पड़ता है। हालांकि नए यूजर्स को अब से अपने अकाउंट से आधार या पैन कार्ड लिंक करना होता है। इसे ही बेसिक या मिनिमम केवाईसी कहते हैं।

कैसे पूरी करें E- KYC की प्रक्रिया?

जो लोग ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें अब आधार आथेंटिफिकेशन कराना होगा। अगर आप पेटीएम का इस्तेमाल करते हैं और अपने वॉलेट का ई-केवाईसी नहीं कराया है तो वॉलेट में पैसा जोड़ने की प्रक्रिया के दौरान ही आपसे ऐसा करने को कहा जाएगा। यह दरअसल एक फॉर्म होता है जिसमें आपको अपना नाम (जो आधार में दर्ज है), आधार संख्या और पैन नंबर की जानकारी देनी होगी। वेरिफिकेशन एड्रेस में आपका वही एड्रेस जुड़ जाएगा जो आपके आधार में दर्ज होगा। यह प्रक्रिया काफी आसान है।

क्यों जरुरी है E- KYC?

ई-वॉलेट में आपके पैसे की पूरी सुरक्षा अभी एक चुनौती बनी हुई है। इसीलिए आरबीआई अब वॉलेट ग्राहकों की केवाईसी अनिवार्य करने जा रही है। अक्टूबर 2017 में आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी कर सभी मोबाइल वॉलेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों से अपने ग्राहकों का केवाईसी नॉर्म पूरा करने को कहा था। ऐसे में जितने भी लोगों तय समय तक अपना केवाईसी नॉर्म पूरा नहीं कराएंगे उनका अकाउंट मार्च में कभी भी बंद हो सकता है।

KYC और E-KYC में क्या है अंतर?

KYC और E-KYC आमतौर पर एक ही होते हैं। बस E-KYC एक ऑनलाइन प्रक्रिया है जहां जमा और सत्यापन एक अधिक परिष्कृत प्रक्रिया है। अगर आपके पास आधार है तो आप आसानी से E-KYC करा सकते हैं। केवाईसी ऑफलाइन माध्यम से कराई जाती है।

मिनमम केवाईसी और फुल केवाईसी में अंतर?

मौजूदा समय में अधिकांश ई-वॉलेट यूजर्स सिर्फ मिनिमम केवाईसी मानदंडों का पालन करते हैं। ये ऐसे हैं जिन्होंने सालों पहले अपना खाता सिर्फ मोबाइल नंबर के जरिए खोल लिया था। लेकिन अब नए यूजर्स को अपना नाम और ऑफिशियिल वैलिड आईडी देनी होती है। यह मिनमम और बेसिक केवाईसी कहलाती है। मिनिमम केवाईसी में कुछ प्रतिबंध होते हैं, मिनिमम केवाईसी यूजर्स किसी दूसरे वॉलेट और बैंक अकाउंट में पैसा नहीं रख पाएंगे। फुल केवाईसी में आपको अपने पीपीआई (प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट) अकाउंट को आधार से लिंक कराना होगा।

सरकार ने क्यों नहीं बढ़ाई डेडलाइन?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डिजिटल वॉलिट कंपनियों से कहा था कि वो अपने सभी कस्टमर्स से KYC (नो योर कस्टमर्स) को फरवरी 2018 अंत तक पूरा करने को कहें। इससे पहले आरबीआई ने 31 दिसंबर 2017 तक यूजर्स का केवाईसी वेरिफिकेशन पूरा करने का आदेश दिया था। 28 फरवरी 2018 के बाद आप अपने मोबाइल वॉलेट का ई-केवाईसी नहीं कर पाएंगे। सरकार ने इस डेडलाइन में विस्तार इसलिए नहीं दिया है क्योंकि इसमें दो बार विस्तार दिए जाने के बावजूद सिर्फ 9 फीसद लोगों ने इस प्रक्रिया को पूरा किया है।

नहीं कराया E- KYC तो पैसों का क्या होगा?

यूजर के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है। मोबाइल वॉलेट का ई-केवाईसी न कराने पर सिर्फ इतना होगा कि आप अपने वॉलेट में और पैसे नहीं जोड़ पाएंगे। हालांकि अभी तक आपके वॉलेट में जो भी पैसा पड़ा होगा उसका इस्तेमाल आप कभी भी कर सकेंगे, ऐसा करने में आपको कोई परेशानी नहीं होगी। हालांकि अगर आप अपने वॉलेट में और पैसा जोड़ना चाहेंगे तो आपको केवाईसी की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। ई-केवाईसी न कराने पर भी आपका वॉलेट पहले की ही तरह चलता रहेगा। लेकिन अगर आप अपने आधार कार्ड की मदद से ईकेवाईसी को पूरा कर लेंगे तो आपके लिए बेहतर रहेगा।

देश में कितने E-Wallet कर रहे हैं काम?

देश में मौजूदा समय में पेटीएम, मोबीक्विक, ओला मनी, एयरटेल मनी, फ्रीचार्ज और जियो मनी प्रमुख डिजिटल वॉलेट है। RBI डेटा के मुताबिक, दिसंबर में 28.8 करोड़ मोबाइल वॉलेट ट्रांजैक्शन दर्ज हुए थे।

मोबाइल वॉलेट कंपनियों को सता रहा है कौन सा डर?

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से मोबाइल वॉलेट कंपनियों को पहले 31 दिसंबर 2017 की डेडलाइन दी गई थी, बाद में इसे बढ़ाकर 28 फरवरी 2018 कर दिया गया। हालांकि ई-वॉलेट कंपनियां केवाईसी की जरूरत को चुनौतीपूर्ण मान रही हैं। अगर आरबीआई के दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू किया जाता है तो उनके बिजनेस को नुकसान हो सकता है क्योंकि उनके 90 फीसद कस्टमर मिनिमम केवाईसी का अनुपालन करते हैं, न कि पूर्ण केवाईसी का, जिसकी केंद्रीय बैंक को जरूरत है।

पेटीएम वालेट में ई-केवाईसी के फायदे और नुकसान: पेटीएम वॉलेट में ई-केवाईसी के अपने फायदे और नुकसान भी हैं। जानिए इनके बारे में

फायदे:

आप अपने पेटीएम वॉलेट में आसानी से पैसा जोड़ सकते हैं। ऐसा कर आप ज्यादा कैशलैस ट्रांजेक्शन कर सकते हैं।
ऐसा कर आप पेटीएम के ज्यादा ऑफर्स का फायदा उठा सकते हैं।
आप अपना पेमेंट बैंक अकाउंट भी खोल सकते हैं।
नुकसान:

आपके खर्चों पर रखी जाएगी नजर।
आपको खर्चा करने के लिए ज्यादा अच्छी डील मिलेंगी, लेकिन आप ऐसा कर नहीं पाएंगे क्योंकि आपके खाते में ज्यादा पैसे ही नहीं होंगे।

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